नयी दिल्ली, 12 नवंबर खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के कारण खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर में मामूली बढ़कर 4.48 प्रतिशत हो गई। सरकारी आंकड़ों में शुक्रवार को यह जानकारी दी गई।
गौरतलब है कि खुदरा मुद्रास्फीति में पिछले चार महीनों से गिरावट का सिलसिला देखने को मिल रहा था, जो अक्टूबर में थम गया।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में 4.35 प्रतिशत और अक्टूबर, 2020 में 7.61 प्रतिशत थी।
वार्षिक मुद्रास्फीति मई के 6.3 प्रतिशत से घटकर जून में 6.26 प्रतिशत रह गई थी। इसके बाद जुलाई में यह 5.59 प्रतिशत और अगस्त में 4.35 प्रतिशत रही।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 0.85 प्रतिशत हो गई। इस दौरान तेल एवं वसा की कीमतों में 33.5 प्रतिशत और ईंधन तथा बिजली की कीमतों में 13.63 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) अपने उदार मौद्रिक रुख में तभी बदलाव करेगी, जब इस बात के पर्याप्त साक्ष्य मिल जाएंगे कि घरेलू मांग पर्याप्त टिकाऊ है।
उन्होंने कहा कि ऐसा फरवरी 2022 तक हो सकता है और तक आरबीआई द्वारा रिवर्स रेपो दर में 0.15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा सकती है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य तय किया है, जिसमें ऊपर-नीचे दो प्रतिशत का विचलन हो सकता है।
आरबीआई के अनुमानों के मुताबिक सीपीआई मुद्रास्फीति 2021-22 में 5.3 प्रतिशत के करीब रहेगी। इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है।
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