नयी दिल्ली, 10 मई चार होटलों को दो अस्पतालों से संबद्ध कर उनके कमरों को विभिन्न सरकारी अधिकारियों व उनके परिवारों इलाज के लिए आरक्षित करने की दिल्ली सरकारी की अधिसूचना को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई गई। अदालत ने स्वास्थ्य विभाग से याचिका पर जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति विपित सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी कर उसकी अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर उसका रुख जनना चाह।
यह याचिका दिल्ली के डॉक्टर कौशलकांत मिश्रा ने दायर की है।
दिल्ली सरकार की 27 अप्रैल की अधिसूचना के मुताबिक, यहां विवेक विहार के होटल जिंजर के 70 कमरों, शाहदरा के होटल पार्क प्लाजा के 50 कमरों, सीबीडी ग्राउंड के होटल लीला एम्बीयंस के 50 कमरों को राजीव गांधी सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल से संबद्ध किया गया तथा हरि नगर के होटल गोल्डन ट्यूलिप के सभी कमरों को दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल से संबद्ध किया गया है तथा इन सभी कमरों को दिल्ली सरकार, स्वायत्त निकाय, निगमों, स्थानीय निकायों और उनके परिवारों के लिए इलाज के लिए आरक्षित किया गया है।
याचिका में दलील दी गई है कि एक श्रेणी के व्यक्तियों के पक्ष में एक वर्गीकरण बनाना ‘मनमाना’ और ‘अकल्पनीय’ है विशेषकर तब जबकि लोग ऑक्सीजन बिस्तर की तलाश में यहां-वहां घूम रहे हैं।
याचिका में कहा गया है, “ यह समुदाय के अहम स्वास्थ्य स्रोतों को आम नागरिकों से दूर करके और पहले से विशेषाधिकार प्राप्त सरकारी अधिकारियों के पक्ष में करके स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन करता है।”
इसी के साथ मिश्रा ने अदालत से दिल्ली सरकार द्वारा पिछले साल जारी तीन आदेशों को भी रद्द करने का अनुरोध किया है जिसमें शुरुआती तौर पर दो निर्दिष्ट अस्पतालों और एक जांच प्रयोगशाला को ऐसे अधिकारियों व उनके परिवारों के सदस्यों के लिए निर्धारित करने और बाद में चार अस्पतालों को दो सरकारी अस्पतालों से संबंद्ध करना शामिल है।
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