मुबई, 27 मई भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में नकदी चलन को संतोषजनक स्तर पर बनाये रखेगा। आरबीआई ने यह भी आश्वस्त किया कि मौद्रिक नीति उपायों का लाभ ग्राहकों को निर्बाध मिलता रहेगा।
केंद्रीय बैंक ने कोविड-19 की पहली लहर से निपटने के लिये भी कई परंपरागत और लीक से हटकर कदम उठाये थे, जिसका उद्देश्य 31 मार्च, 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में वित्तीय प्रणाली में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करना था।
रिजर्व बैंक की 2020-21 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘आरबीआई यह सुनिश्चित करेगा कि मौद्रिक नीति के रुख के अनुरूप 2021-22 के दौरान नकदी लेनदेन का स्तर सहज बना रहे, और वित्तीय स्थिरता बनाए रखते हुए मौद्रिक नीति का लाभ निर्बाध मिलता रहे।’’
रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 में सरकारी प्रतिभूति अधिग्रहण कार्यक्रम (जी-सेक) की शुरुआत इसका उदाहरण है। इसके तहत आरबीआई ने खुले बाजार से सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद को लेकर निश्चित राशि की प्रतिबद्धता जतायी है। इसका मकसद अनुकूल वित्तीय स्थिति के तहत प्रतिफल दर को स्थिर और व्यवस्थित बनाये रखना है।
आरबीआई ने देश में कोविड संबंधित स्वास्थ्य ढांचागत सुविधाओं और सेवाओं को मजबूत करने के इरादे से नकदी बढ़ाने के लिये रेपो दर पर तीन साल की अवधि के लिये 50,000 करोड़ रुपये की सदा सुलभ नकदी व्यवस्था उपाय की घोषणा की है। यह सुविधा 2021-22 के अंत तक खुली है।
साथ ही लघु वित्त बैंक (एसएफबी) के लिये 10,000 करोड़ रुपये का तीन साल का विशेष दीर्घकालीन रेपो परिचालन (एसएलटीआरओ) का निर्णय किया। यह सुविधा प्रति कर्जदार 10 लाख रुपये के नये कर्ज के लिये दी गयी।
आरबीआई ने यह भी कहा है कि सरकारी प्रतिभूति बाजार को और मजबूत बनाने तथा खुदरा निवेशकों की भागीदारी के लिये प्रयास जारी हैं।
उल्लेखनीय है कि एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधार के तहत आरबीआई ने सरकारी प्रतिभूति बाजार...प्राथमिक और द्वितीयक बाजार दोनों... में खुदरा निवेशकों की ‘ऑनलाइन’ भागीदारी की अनुमति देने की घोषणा की है।
सरकार के कर्ज के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में पर्याप्त नकदी से सभी स्तरों पर ब्याज दर नरम हुए हैं और अनुकूल वित्तीय स्थिति बनी है।
इससे वित्तीय बाजारों और संस्थानों का कामकाज सामान्य बनाये रखने में मदद मिली। साथ ही व्यवस्थित रूप से 17 साल के न्यूनतम भारांश औसत लागत 5.79 प्रतिशत पर सरकार के उधार कार्यक्रम को पूरा किया गया और रिकार्ड मात्रा में कॉरपोरेट बांड जारी हुए।
वर्ष के दौरान सरकार की शुद्ध बाजार उधारी 141.2 प्रतिशत बढ़कर 12.60 लाख करोड़ रुपये रही। केन्द्रीय बैंक ने कहा कि कोविड- 19 महामारी के कारण वैश्विक और घरेलू अर्थव्यर्वस्थाओं और उनके वित्तीय बाजारों पर पड़े प्रभाव के बीच रिजर्व बैंक ने केन्द्र और राज्यों की संयुक्त सकल बाजार उधारी का बखूबी प्रबंधन किया। इस दौरान केन्द्र और राज्य सरकारों की कुल उधारी 61.3 प्रतिशत बढ़कर 21,69,140 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
केन्द्रीय बैंक ने कहा कि अब उसकी नजर वर्ष 2021- 22 के दौरान सरकार के उधार कार्यक्रम पर है। इस दौरान सरकार के रिण कार्यक्रम को सुव्यवस्थित रखने पर उसका ध्यान है।
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