नयी दिल्ली, सात जून भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में लगातार आठवीं बार नीतिगत दर रेपो को अपेक्षाओं के अनुरूप 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा है। उद्योग जगत ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि उसे उम्मीद है कि जब मुद्रास्फीति अपने लक्ष्य दायरे के भीतर स्थिर हो जाएगी तो केंद्रीय बैंक रेपो दर को कम करेगा।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने अपने बयान में कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की लगातार आठवीं बैठक में रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है।
रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपा गया है कि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत (दोनों तरफ दो प्रतिशत के घट-बढ़ के साथ) पर बनी रहे। केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीति तय करते समय मुख्य रूप से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) को ध्यान में रखता है।
केंद्रीय बैंक ने सामान्य मानसून की स्थिति को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (फिक्की) के अध्यक्ष अनीश शाह ने कहा, “हम चालू वित्त वर्ष में वृद्धि पर आरबीआई के दृष्टिकोण से उत्साहित हैं। इसे सात प्रतिशत से संशोधित कर 7.2 प्रतिशत कर दिया गया है। चालू वित्त वर्ष (2024-25) के लिए मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 4.5 प्रतिशत पर बनाए रखा गया है। यह सकारात्मक है और जोखिमों को सक्रिय रूप से हल करने में आरबीआई की शानदार कार्रवाई को दर्शाता है।’’
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने कहा, “हम उम्मीद कर रहे हैं कि मुद्रास्फीति का रुख आरबीआई के लक्ष्य दायरे के भीतर स्थिर हो जाएगा और उसके बाद केंद्रीय बैंक के नीतिगत रुख में नरमी आएगी।”
रेपो दर को यथावत रखने के आरबीआई के फैसले पर एसोचैम के सचिव दीपक सूद ने कहा, “पर्यावरण अनुकूल आर्थिक वृद्धि के लिए मूल्य स्थिरता पर आरबीआई का अटूट ध्यान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक और मजबूत आधार को और बेहतर करेगा।”
एस्सार पोर्ट्स के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राजीव अग्रवाल ने कहा “चालू वित्त वर्ष के लिए 7.2 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान हमारी अर्थव्यवस्था की मजबूती और वृद्धि क्षमता का प्रमाण है। बंदरगाह और बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए ऋण दरों में यह स्थिरता स्वागत योग्य है। आरबीआई की नीति देश को निवेश बढ़ाने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए एक अच्छा आधार प्रदान करती है।”
श्रीराम फाइनेंस के कार्यकारी वाइस चेयरमैन उमेश रेवांकर ने रेपो दर यथावत रखने के रिजर्व बैंक के फैसले पर कहा, “मुख्य मुद्रास्फीति में नरमी, तरलता के स्थिर बने रहने और वृद्धि के आंकड़े प्रभावशाली होने के कारण, कई विश्लेषकों को लगा कि शायद इस बार एमपीसी नरम रुख अपनाने पर विचार करेगी। हालांकि, भू-राजनीतिक स्थिति अभी भी अस्थिर बनी हुई है और भारत की खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है, आरबीआई ने नीतिगत दरों पर यथास्थिति बनाए रखकर सावधानी को प्राथमिकता दी है।”
इक्विरस की अर्थशास्त्री अनीता रंगन ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपनी दूसरी मौद्रिक नीति में ‘नीतिगत दर को अपेक्षा के अनुरूप 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखा है तथा वृद्धि दर को संशोधित कर 7.2 प्रतिशत कर दिया है, जबकि मुद्रास्फीति को पूरे वित्त वर्ष के लिए 4.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है।’
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि आरबीआई ने नीतिगत दर में कोई बदलाव न करके स्थिर रहना पसंद किया है। ‘आरबीआई को उपभोक्ता मूल्य आधारित (सीपीआई) मुद्रास्फीति पर लगाम लगानी होगी ताकि वह चार प्रतिशत के अपने घोषित लक्ष्य पर बनी रहे।’
उन्होंने कहा, “खाद्य मुद्रास्फीति चिंता का विषय बनी हुई है। आरबीआई ने मुद्रास्फीति के अपने पूर्वानुमान को 4.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है।’’
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