नयी दिल्ली, सात जनवरी उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की मंगलवार को सिफारिश की।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई में पांच न्यायाधीशों के कॉलेजियम ने मंगलवार को हुई बैठक में न्यायमूर्ति चंद्रन के नाम की सिफारिश की। वह आठ नवंबर, 2011 को पहली बार केरल उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
न्यायमूर्ति चंद्रन को पदोन्नत करके पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वह 29 मार्च, 2023 से इस पद पर कार्यरत हैं।
अगर केंद्र सरकार सिफारिश को मंजूरी दे देती है, तो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या 33 हो जाएगी। शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 34 है।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश सी टी रविकुमार पांच जनवरी को सेवानिवृत्त हुए हैं।
कॉलेजियम ने अपने प्रस्ताव में कहा है, ‘‘उन्होंने (न्यायमूर्ति चंद्रन) 11 साल से अधिक समय तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में और एक साल से अधिक समय तक एक बड़े उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान, न्यायमूर्ति चंद्रन ने कानून के विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त किया है।’’
कॉलेजियम में प्रधान न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमर्ति अभय एस. ओका शामिल हैं।
कॉलेजियम ने कहा है कि न्यायमूर्ति चंद्रन उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में 13वें स्थान पर हैं।
कॉलेजियम के एक अन्य प्रस्ताव में बम्बई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई है।
दिल्ली उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश मनमोहन को शीर्ष अदालत में पदोन्नत किये जाने के बाद न्यायमूर्ति विभु बाखरू इस अदालत के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे हैं।
कॉलेजियम ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे को बम्बई उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की भी सिफारिश की है।
कॉलेजियम ने गौहाटी उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश- न्यायमूर्ति कर्दक एटे और न्यायमूर्ति मृदुल कुमार कलिता- को उसी अदालत में स्थायी नियुक्ति दिये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
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