रियल एस्टेट क्षेत्र को ऋण के पुनगर्ठन, अतिरिक्त वित्तपोषण की सुविधा मिले: क्रेडाई
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नयी दिल्ली, 25 मई रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन क्रेडाई ने कोरोना वायरस महामारी के व्यापक असर का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री से इस क्षेत्र की कंपनियों को ऋण पुनर्गठन की सहूलियत देने, अतिरिक्त कर्ज सुविधा मुहैया कराने , आवासर ऋण सस्ता करने तथा कर छूट की मांग की है।

क्रेडाई ने सोमवार को एक बयान में बताया कि उसने रियल एस्टेट बाजार की दशा पर प्रधानमंत्री को एक खुला पत्र भेजा है।

पत्र में कहा गया है कि धन का प्रवाह नहीं होने, कमजोर मांग तथा निर्माण सामग्री कंनियों के कार्टेल (बना कर सामान महंगा करने) जैसी बड़ी समस्याएं हैं।इससे रियल एस्टेट क्षेत्र रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है।

अचल सम्पत्त विकास के काम में लगी 15000 इकाइयों की सदस्यता का दावा करने वाले इस संगठन ने कहा है, ‘‘रियल एस्टेट क्षेत्र करीब 5.2 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में अहम योगदान देता है तथा बैंकों के ऋण में इसकी करीब 11 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

रियल एस्टेट सीमेंट तथा इस्पात समेत 250 के आस-पास उद्योगों को कारोबार के अवसर मुहैया कराता है। ऐसे में महामारी के कारण उत्पन्न परिस्थिति में इस क्षेत्र को बचाना पूरी अर्थव्यवस्था के लिये महत्वपूर्ण है।’’

संगठन ने राहत के तौर पर पत्र में सात मांगें की हैं। ये मांगें बकाया ऋणों का एक बार पुनगर्ठन किए जाने की छूट, अतिरिक्त संस्थागत वित्तपोषण, ब्याज पर जुर्माने से एक साल की छूट, मांग प्रेरित करने के लिये नीतिगत हस्तक्षेप, क्षेत्र के लिये माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधार, निर्माण सामग्री कंपनियों के कार्टेल पर लगाम और किफायती तथा मझोली आय वालों के लिए मकान की अटकी परियोजनाओं के लिए कर्ज की 25000 करोड़ रुपये के विशेष कोष की सुविधा (एसब्ल्यूएएमआईएच) से सहायता तेज किए जाने को लेकर हैं।

संगठन ने ऋण के पुनर्गठन पर जोर देते हुए कहा, ‘‘मौजूदा संकट 2008 के वित्तीय संकट से बुरा है। उस समय रिजर्व बैंक द्वारा ऋण के एक बार के पुनर्गठन की छूट देने से सैकड़ों व्यवसायों और लाखों रोजगार की रक्षा हुई थी। इस बार छह महीने के लिये कर्ज की किस्तें चुकाने से छूट दी गयी है। इससे अल्पकालिक राहत ही मिल सकेगी।’’

इसके अलावा क्रेडाई ने सभी बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास ऋण कंपनियों (एचएफसी) को मौजूदा ऋण के 20 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त ऋण उपलब्ध कराने का निर्देश देने को भी कहा। उसने कहा कि यह अतिरिक्त ऋण बिना रेहन के दिया जाना चाहिये और संबंधित ऋण खातों को गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) श्रेणी में वर्गीकृत करने से छूट दी जानी चाहिये।रि

आवास क्षेत्र में मांग को फिर से बढ़ाने के लिये क्रेडाई ने सुझाव दिया है कि सरकार को नये आवास ऋण पर ब्याज सब्सिडी की योजना लानी चाहिए ताकि अगले पांच साल तक मकान की किस्तों (ईएमआई) पर ब्याज पांच प्रतिशत से अधिक न हो।

इसके अलावा संगठन ने की आयकर धारा 80सी के तहत आवास ऋण के लिए मूलधन कटोती की सीमा बढ़ा कर 2.5 लाख रुपये करने, धारा 24 के तहत आवास ऋण पर ब्याज कटौती की सीमा बढा कर 10 लाख रुपये करने और एक साल से अधिक समय तक आवासीय संपत्ति का मालिकाना हक रह जाने की स्थिति में पूंजीगत लाभ नहीं माने जाने की मांगें की हैं।

क्रेडाई ने कहा कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान सीमेंट और इस्पात की कीमतें बढ़ गयी हैं। गुटबाजी पर लगाम लगाकर इसे नियंत्रित किया जाना चाहिये।

संगठन ने 75 लाख रुपये तक की आवासीय संपत्ति पर एक प्रतिशत की दर से ही जीएसटी लगाने और निर्माणाधीन परियोजनाओं पर पांच प्रतिशत की एक-समान दर से जीएसटी लगाने का भी सुझाव दिया है।

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