मुंबई, 12 जून भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों के प्रवर्तक समूह से संबंध रखने वाले मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) और पूर्णकालिक निदेशकों की आयु सीमा 70 वर्ष और अधिकतम कार्यकाल 10 वर्ष तय करने का प्रस्ताव रखा है। यह पेशकश बैंकिंग क्षेत्र में प्रशासन को बेहतर बनाने की कवायद के तहत की गई है।
आरबीआई द्वारा बृहस्पतिवार को जारी परिचर्चा पत्र में कहा गया है कि प्रवर्तक समूह से संबंध रखने वाले सीईओ और पूर्णकालिक निदेशकों (डब्ल्यूटीडी) को 10 साल बाद प्रबंधन का नेतृत्व पेशेवरों को सौंपना चाहिए।
इस परिचर्चा पत्र पर आरबीआई ने विभिन्न हितधारकों से 15 जुलाई, 2020 तक सुझाव मांगे हैं।
इसमें कहा गया है, ‘‘बैंकों के सीईओ/ डब्ल्यूटीडी के लिए ऊपरी आयु सीमा 70 वर्ष है। इसके बाद इस पद पर कोई भी बना नहीं रह सकता है। 70 वर्ष की अधिकतम सीमा के भीतर प्रत्येक बैंक का बोर्ड आंतरिक नीति के रूप में सीईओ/ डब्ल्यूटीडी की उम्र सीमा को कम कर सकता है।’’
परिचर्चा पत्र में कहा गया है कि सुसंगत प्रशासन की संस्कृति को मजबूती देने के लिए और स्वामित्व से प्रबंधन को अलग करने के सिद्धांत को अपनाने के लिए ‘‘डब्ल्यूटीडी या सीईओ के कार्यकाल को सीमित करना जरूरी है।’’
इसमें आगे कहा गया है कि किसी बैंक के प्रवर्तक/ प्रमुख शेयरधारक के लिए डब्ल्यूटीडी या बैंक के सीईओ के रूप में कामकाज को स्थिर करने और प्रबंधकीय नेतृत्व को एक पेशेवर प्रबंधन में बदलने के लिए 10 साल का समय पर्याप्त है। इससे न सिर्फ स्वामित्व से प्रबंधन को अलग करने में मदद मिलेगी, बल्कि पेशेवर प्रबंधन की संस्कृति को बढ़ावा भी मिलेगा।
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