मुंबई, आठ अगस्त भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल ऋण देने वाले ऐप के सार्वजनिक तौर पर आंकड़े एकत्रित करने का बृहस्पतिवार को प्रस्ताव दिया, ताकि अनधिकृत इकाइयों पर लगाम लगाई जा सके।
केंद्रीय बैंक ने एक अन्य महत्वपूर्ण कदम में यूपीआई में ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ की सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ एक व्यक्ति (प्राथमिक उपयोगकर्ता) को किसी अन्य व्यक्ति (द्वितीयक उपयोगकर्ता) को प्राथमिक उपयोगकर्ता के बैंक खाते से एक सीमा तक यूपीआई लेनदेन करने की अनुमति देने में सक्षम बनाएगी।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मंगलवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक ने भारत में डिजिटल ऋण परिदृश्य के व्यवस्थित विकास के लिए कई उपाय किए हैं।
उन्होंने कहा कि अनधिकृत डिजिटल ऋण देने वाले ऐप (डीएलए) से उत्पन्न होने वाली समस्याओं के समाधान के लिए आरबीआई ने बैंक तथा एनबीएफसी के डीएलए के आंकड़े (रिपॉजिटरी) तैयार करने का प्रस्ताव किया है।
दास ने कहा, “ विनियमित संस्थाएं (आरई) इसमें अपने डीएलए के बारे में जानकारी देंगे और समय के साथ उसे अद्यतन भी करेंगी। इस कदम से उपभोक्ताओं को अनधिकृत ऋण देने वाले ऐप की पहचान करने में मदद मिलेगी।’’
यूपीआई के जरिये ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ की शुरुआत के बारे में गवर्नर दास ने कहा कि इस सुविधा से एक व्यक्ति (प्राथमिक उपयोगकर्ता) किसी अन्य व्यक्ति (द्वितीयक उपयोगकर्ता) को अपने बैंक खाते से एक सीमा तक यूपीआई लेनदेन करने की अनुमति दे सकेगा। इसके लिए द्वितीयक उपयोगकर्ता के पास यूपीआई से जुड़ा एक अलग बैंक खाता होना आवश्यक नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि इससे डिजिटल भुगतान की पहुंच व उपयोग और बढ़ेगा।
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