देश की खबरें | रथ यात्रा: पुरी के गुंडिचा मंदिर पहुंचे रथ

पुरी, आठ जुलाई भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ सोमवार को गुंडिचा मंदिर पहुंचे, जिसके साथ ही ओडिशा के पुरी में रथ यात्रा समारोह का पहला चरण संपन्न हो गया।

हजारों लोगों ने रथों को खींचा, जबकि लाखों श्रद्धालु गर्मी और उमस के बीच 'बड़ादंडा' पर रथ यात्रा देखने के लिए सड़क किनारे जमा हुए।

यात्रा रविवार शाम को शुरू हुई, लेकिन सूर्यास्त के कारण कुछ मीटर बाद ही रुक गई। सोमवार सुबह करीब 9.30 बजे 12वीं सदी के मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक 2.5 किलोमीटर की यात्रा फिर से शुरू हुई और इसका समापन अपराह्न 2.35 बजे हुआ।

तीनों भव्य रथ ग्रैंड रोड पर गुंडिचा मंदिर के बाहर रहेंगे। मंगलवार को एक औपचारिक शोभायात्रा के साथ देवताओं को मंदिर के अंदर ले जाया जाएगा। देवता एक सप्ताह तक इसी मंदिर में रहेंगे।

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अरुण सारंगी भी रथों को खींचने में शामिल हुए। उन्होंने कहा, "रथ अपने गंतव्य पर पहुंच गए हैं। हमने तीनों रथों के चारों ओर घेरा बना दिया है और भीड़ को नियंत्रित कर रहे हैं। वाहनों के सुचारू प्रवाह के लिए पर्याप्त यातायात व्यवस्था की गई है।"

इस बार 53 वर्षों के बाद कुछ खगोलीय स्थितियों के कारण रथ यात्रा दो दिवसीय थी।

परंपरा से हटकर, 'नबजौबन दर्शन' और 'नेत्र उत्सव' सहित कुछ अनुष्ठान रविवार को आयोजित किए गए। ये अनुष्ठान आमतौर पर रथ यात्रा से पहले आयोजित किए जाते हैं।

'नबजौबन दर्शन' का अर्थ है देवताओं का युवा रूप में दर्शन, जो 'स्नान पूर्णिमा' के बाद आयोजित 'अनासरा' (संगरोध) नामक अनुष्ठान में 15 दिनों के लिए बंद दरवाजे में थे।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, 'स्नान पूर्णिमा' पर अत्यधिक स्नान करने के कारण देवता बीमार पड़ जाते हैं और इसलिए बंद दरवाजे में ही रहते हैं।

'नबजौबन दर्शन' से पहले, पुजारियों ने 'नेत्र उत्सव' नामक विशेष अनुष्ठान किया, जिसमें देवताओं की आंखों की पुतलियों को नए सिरे से रंगा जाता है।

पुलिस अधीक्षक पिनाक मिश्रा ने बताया कि सुरक्षा कर्मियों की 180 प्लाटून (एक प्लाटून में 30 कर्मी होते हैं) की तैनाती के साथ कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं।

पुलिस ने कहा कि उत्सव स्थल 'बड़ाडंडा' और तीर्थ नगरी के अन्य रणनीतिक स्थानों पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

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