Rajya Sabha Pays Tribute: राज्यसभा ने मंगलवार को 2001 के संसद हमले के शहीदों की वीरता और बहादुरी को याद करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. उच्च सदन के सदस्यों ने इस हमले में जान गंवाने वालों के सम्मान में कुछ देर मौन भी रखा. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही उपसभापति हरिवंश ने कहा कि 13 दिसंबर को स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे खराब दिन के रूप में हमेशा याद किया जाएगा. उन्होंने कहा कि 21 साल पहले 2001 में आतंकवादियों ने लोकतंत्र के इस मंदिर पर हमला कर दिया था लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने वीरता और बहादुरी का परिचय देते हुए संसद की रक्षा की और हमारे देश की आत्मा पर हमला करने के आतंकवादियों के दुस्साहसिक प्रयास को विफल कर दिया. इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक महिला कर्मी, संसद की सुरक्षा से जुड़े दो कर्मचारी और एक माली शहीद हो गए थे. एक पत्रकार भी इस हमले का शिकार हुआ था.
हमला करने वाले सभी पांचों आतंकवादियों को भी मौके पर ही ढेर कर दिया गया था. उपसभापति ने कहा, ‘‘तब से इस दिन, हम न केवल इस कायरतापूर्ण कृत्य में शहीद हुए लोगों के प्रति अपनी गहरी सहानुभूति व्यक्त करते हैं, बल्कि आतंकवाद के सभी रूपों की अपनी स्पष्ट निंदा को भी दोहराते हैं.’’
उन्होंने कहा कि आतंकवाद हर जगह सभी लोगों के लिए खतरा है और वह शांति एवं सुरक्षा को कमजोर करता है. उन्होंने कहा कि आतंकवाद के सभी कृत्य आपराधिक, अमानवीय और अनुचित हैं और आतंकवाद पर देश के अंतरराष्ट्रीय रुख में यह आह्वान भी किया गया है कि इसे बुरे या अच्छे के रूप में वर्गीकृत करने पर रोक लगनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि वैश्विक आतंकवाद सूचकांक 2020 के अनुसार देश वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से आठवां सबसे अधिक प्रभावित देश बना हुआ है, लेकिन आतंकवाद कतई ना बर्दाश्त करने की नीति के पालन से देश में आतंकवादी हमलों में कमी आई है.’’
हरिवंश ने यह भी कहा, ‘‘आतंकवाद का साया अभी भी मानवता को परेशान करता है और पिछले कुछ वर्षों में आतंकवादी खतरों ने एक घातक चरित्र ग्रहण कर लिया है, जिससे दुनिया भर के देशों के लिए इस खतरे से निपटना मुश्किल हो गया है.’’ उन्होंने कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को कट्टरपंथी बनाना, आतंकवाद का वित्तपोषण और मादक पदार्थों एवं हथियारों की तस्करी कुछ ऐसे गंभीर आतंकवादी खतरे हैं, जिनका आज देश सामना कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘भारत इससे अछूता नहीं है. भारत लंबे समय से आतंक का शिकार रहा है। सदस्यों के रूप में आतंकवाद विरोधी विधायी ढांचे को मजबूत करने में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका है. जन प्रतिनिधि के रूप में आप समाज के कमजोर और संवेदनशील समूहों के मुद्दों और हितों को स्पष्ट कर सकते हैं जो कट्टरता से ग्रस्त हैं और विश्वास-निर्माण उपायों के माध्यम से उन्हें संलग्न कर सकते हैं.
उपसभापति ने सदस्यों से सभी प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक रूप से लड़ने और देश की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए खुद को फिर से समर्पित करने का भी आग्रह किया.
ब्रजेन्द्र
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