देश की खबरें | राजस्थान: विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को झटका, दोनों सीटों पर कांग्रेस जीती

जयपुर, दो नवंबर सत्तारूढ़ कांग्रेस ने विधानसभा उपचुनाव में राज्य की धरियावद एवं वल्लभनगर, दोनों सीटें जीत ली हैं। कांग्रेस ने उपचुनाव में एक सीट पर अपना कब्जा कायम रखा है तो एक सीट उसने भाजपा से छीनी है। अगले महीने तीन साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही अशोक गहलोत सरकार के लिए इसे बड़ी जीत माना जा रहा है और मुख्यमंत्री गहलोत ने इसे जनता द्वारा राज्य सरकार के सुशासन पर मुहर बताया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि सत्ताधारी पार्टी उपचुनावों में लगातार जीत रही है।

मुख्य विपक्षी दल भाजपा को इन चुनावों में बड़ा झटका लगा है क्योंकि दोनों ही सीटों पर उसके प्रत्याशी हारे ही नहीं बल्कि दूसरे नंबर पर भी नहीं आ सके। वल्लभनगर सीट पर भाजपा उम्मीदवार चौथे तो धरियावद सीट पर तीसरे स्थान पर रहे। राज्य में अब तक आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ है जिनमें से छह सत्तारूढ़ कांग्रेस जीती है।

राज्य की वल्लभनगर (उदयपुर) व धरियावद (प्रतापगढ़) विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 30 अक्टूबर को हुए मतों की गिनती मंगलवार को हुई। दो और सीटें जीतने से 200 सीटों वाली रजाज्य विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या बढ़कर 108 हो गई है।

निर्वाचन विभाग के अनुसार वल्लभनगर सीट पर कांग्रेस की प्रीति शक्तावत विजयी रहीं। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के उदय लाल डांगी को 20606 मतों से हराया। वहीं धरियावद (प्रतापगढ़) विधानसभा पर कांग्रेस प्रत्याशी नगराज मीणा विजयी रहे हैं। आयोग के अनुसार मीणा ने निर्दलीय उम्मीदवार थावरचंद को 18725 मतों के अंतर से हराया।

उपचुनाव में जीत पर प्रतिक्रिया जताते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया,'कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की नीतियों, कार्यक्रमों एवं राज्य सरकार के सुशासन पर जनता ने मोहर लगाई है।' गहलोत के अनुसार,'कांग्रेस प्रत्याशियों को अपना आशीर्वाद एवं समर्थन देकर जनता ने हमारी सरकार को और अधिक मजबूती प्रदान की है, विकास की कड़ी से कड़ी जोड़ी है तथा एक बड़ा संदेश दिया है।'

इसके साथ ही गहलोत ने कहा कि राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि सत्ताधारी पार्टी उपचुनावों में लगातार जीत रही है। 2018 विधानसभा चुनावों के बाद राज्य में आठ विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए हैं जिनमें से कांग्रेस छह पर विजयी रही है व परम्परागत तौर पर राजग की रही दो सीटों पर मामूली अंतर से हारी।

गहलोत के अनुसार पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में आठ विधानसभा उपचुनाव हुए थे जिनमें से महज दो (25%) ही भाजपा जीत सकी थी जबकि हमारी सरकार के अभी तक के कार्यकाल में हुए आठ चुनावों में से छह में कांग्रेस जीती है यानी कांग्रेस की सफलता दर 75% है।

यह विजय दिखाती है कि हमारी सरकार के सुशासन एवं जनकल्याणकारी नीतियों पर जनता को पूरा विश्वास है। इसी प्रकार भविष्य में भी हम जनता का भरोसा बनाए रखने में कामयाब होंगे।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने उपचुनाव में कांग्रेस की जीत पर कहा,'यह सीधा संदेश है कि सरकार की कोई विरोधी लहर नहीं है, लोकप्रियता बढी है, हमारी सरकार अच्छा काम कर रही है और 2023 में भारी बहुमत के साथ दुबारा कांग्रेस पार्टी की सरकार राजस्थान में बनेगी।'

उपचुनाव में महंगाई का कितना असर मानते है का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मंहगाई, बेरोजगारी, विदेशनीति, किसानों की बात, इसके लिये जो राहुल गांधी ने पूरे देश में जिस भी तरीके से मोदी और उनकी सरकार को एक्सपोज करने का काम किया है वो एक बहुत बडा मुद्दा प्रदेश में नहीं बल्कि पूरे देश में बन चुका है।

वहीं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने पार्टी की हार को हार को स्वीकार करते हुए मंगलवार को इसे स्वाभाविक व परिस्थितिजन्य बताया। पूनियां ने ट्वीट किया,' यह पराजय स्वाभाविक है; परिस्थितिजन्य है और स्थानीय समीकरण तथा मुद्दों पर निर्भर थी।'

पूनियां ने आगे लिखा, ' हमें मनोबल और आत्मविश्वास बनाए रखते हुए; आलोचना से बचते हुए;सीख और सबक़ लेकर आगे बढ़ना है। जब हम सत्ता में थे, तब भी हम उपचुनावों में पराजय से सबक लेकर आगे बढ़े हैं।'

आज के परिणाम से 200 सीटों वाला राज्य विधानसभा में कांग्रेस पार्टी की सीटें 106 से बढ़कर108 हो गई हैं। विधानसभा में भाजपा की 71 सीटें हैं जबकि 13 निर्दलीय विधायक हैं। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन जबकि माकपा व भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो दो विधायक हैं।

दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम मुख्य विपक्षी दल भाजपा के लिए अच्छे नहीं रहे। धरियावद सीट पर विजयी रहे कांग्रेस के नगराज मीणा को 69819 (39.16 प्रतिशत) वोट मिले। वहीं निर्दलीय थावरचंद को 51094 (28.66 प्रतिशत) व भाजपा के खेत सिंह को 46487 (26.08 प्रतिशत) वोट मिले। कांग्रेस ने यह सीट भाजपा से छीनी और भाजपा को तीसरे स्थान पर धकेल दिया।

साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में धरियावद सीट भाजपा के गौतम लाल मीणा ने जीती थी। गौतम लाल ने कांग्रेस के नगराज मीणा को 23842 मतों से पराजित किया था। गौतम लाल का कोरोना वायरस संक्रमण से निधन होने के कारण यह सीट खाली हुई थी। यहां दिवंगत भाजपा विधायक गौतम लाल मीणा के पुत्र कन्हैया मीणा ने पार्टी द्वारा प्रत्याशी नहीं बनाए जाने पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया था हालांकि बाद में पार्टी ने उन्हें नामांकन वापस लेने के लिये मना लिया।

रोचक है कि 26 अक्टूबर को उपचुनाव रैली को संबोधित करने से पहले गहलोत दिवंगत भाजपा विधायक गौतम लाल मीणा के निवास पर शोक व्यक्त करने गए। भाजपा ने उनके इस कदम को 'राजनीतिक शोक' करार दिया। इस पर कटाक्ष करते हुए गहलोत ने कहा कि भाजपा को अगर गौतम लाल के परिवार की इतनी ही चिंता थी तो उनके बेटे को टिकट दे देती।

वहीं वल्लभनगर में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हिम्मत सिंह झाला 21433 (11.71 प्रतिशत) मतों के साथ चौथे स्थान पर रहे। इस सीट पर कांग्रेस की प्रीति सिंह शक्तावत ने 65713 (35.9 प्रतिशत) मतों के साथ जीत दर्ज की। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के उदयलाल डांगी दूसरे स्थान पर रहे जिन्हें 45107 (24.65 प्रतिशत) वोट मिले। निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने वाले भाजपा के पूर्व विधायक और जनता सेना के प्रमुख रणधीर सिंह भिंडर को 43817 (23.94 प्रतिशत) मत मिले।

कांग्रेस के लिए राहत की बात है कि उसने यह सीट न केवल जीती बल्कि जीत का अंतर भी बड़ा कर लिया। 2018 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार गजेंद्र शक्तावत केवल 3719 वोटों से जीते थे। लेकिन अब उनकी पत्नी प्रीति शक्तावत ने 20606 मतों से जीत दर्ज की है।

उल्लेखनीय है कि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में वल्लभनगर पर कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत जीते थे। उनका निधन होने से यह सीट खाली हो गई। कांग्रेस की विजयी उम्मीदवार प्रीति शक्तावत, गजेंद्र सिंह की पत्नी हैं।

जहां तक मत प्रतिशत का सवाल है तो दोनों सीटों पर हुए मतदान में से 37.51% मत कांग्रेस के खाते में गए जबकि भाजपा को 18.80% प्रतिशत मत मिले। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी सहित अन्य उम्मीदवारों को 41.84% मतदाताओं ने वोट डाले।

चुनाव अभियान की बात की जाए तो कांग्रेस नेताओं ने अपनी राज्य सरकार के अब तक के काम को आगे रखा तो बढ़ती महंगाई, ईंधन और रसोई गैस की कीमतों और भाजपा नेतृत्व के अहंकार जैसे मुद्दों को उठाया।

परिवहन मंत्री और उदयपुर के प्रभारी प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अशोक गहलोत सरकार द्वारा दिए गए शासन पर चुनाव लड़ा और महंगाई और पेट्रोल, डीजल और एलपीजी गैस की कीमतों के मुद्दों को उठाया। उन्होंने कहा कि नतीजे बताते हैं कि अशोक गहलोत का नेतृत्व सफल है।

उधर,भाजपा ने कानून व्यवस्था, अपराध दर, बेरोजगारी भत्ता और किसानों की पूर्ण कर्जमाफी को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा था। इन चुनावों के दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल का विवादास्पद बयान भी काफी चर्चा में रहा जो उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ दिया। इसको लेकर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी।

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