जोधपुर, 21 मई राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम की अंतरिम जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
याचिका में आसाराम ने हरिद्वार जाकर आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज कराने के लिए जमानत देने का अनुरोध किया था।
अदालत ने जोधपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की चिकित्सा रिपोर्ट पर गौर करने के बाद दुष्कर्म में मामले में कैद आसाराम को जमानत देने से इनकार कर दिया। आसाराम को कोविड-19 होने के बाद एम्स जोधुपर में भर्ती किया गया है।
न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति देवेंद्र कछवाहा की पीठ ने चिकित्सा रिपोर्ट देखने के बाद जिला और जेल प्राधिकार को निर्देश दिया कि वह आसाराम को योग्य चिकित्सा संस्थान में उचित इलाज सुनिश्चित करे।
अदालत ने कहा कि आसाराम को जेल में लौटने पर पौष्टिक आहार और सुरक्षित वातावरण मुहैया कराया जाए।
आसाराम की जमानत याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने चिकित्सा बोर्ड की अनुशंसा का हवाला दिया जिसके मुताबिक कैदी की हालत स्थिर है और वह अस्पताल से छुट्टी मिलने की स्थिति में है लेकिन गैस्ट्रोइन्टेस्टनल में स्राव के मद्देनजर अभी उसे निगरानी में रखने की जरूरत है। बोर्ड के मुताबिक इस बीमारी का इलाज एम्स, जोधपुर में उपलब्ध नहीं है।
आसाराम के वकील ने जोर दिया कि उनके मुवक्किल को आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज की जरूरत है और उन्होंने उसे जोधपुर आश्रम में स्थनांतरित करने का अनुरोध किया। वकील ने कहा कि उसके अनुयायी वहां इलाज की व्यवस्था करेंगे।
हालांकि, अदालत ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
गौरतलब है कि जोधपुर केंद्रीय कारागार में कैद आसाराम कोरोना वायरस से संक्रमित हो गया था और पांच मई को उसे एमजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन दो दिन बाद सांस लेने में दिक्कत होने के बाद उसे एम्स, जोधपुर में भर्ती कराया गया। आसाराम कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्त हो गया है लेकिन उसके गैस्ट्रोइन्टेस्टनल में रक्त स्राव हो रहा है।
आसाराम को वर्ष 2018 में जोधपुर की अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म करने के मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)