मुंबई, 18 अप्रैल: शिवसेना ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gadhi) की शनिवार को यह कहते हुए प्रशंसा की कि उन्होंने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी पर सकारात्मक रुख अपनाया और दिखाया कि संकट के दौरान जिम्मेदार विपक्षी पार्टी को कैसे पेश आना चाहिए. महाराष्ट्र (Maharashtra) में कांग्रेस और राकांपा (NCP) के साथ सत्ता साझा करने वाली शिवसेना (Shiv Sena) ने कहा कि गांधी ने जब कहा कि उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मतातंर हो सकते हैं लेकिन यह वक्त लड़ने का नहीं है बल्कि महामारी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की जरूरत का है, तब उन्होंने लोक हित में पक्ष रखा और राजनीतिक परिपक्वता दर्शाई.
पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में शिवसेना ने कहा कि गांधी और मोदी को देश के फायदे के लिए वैश्विक महामारी पर आमने-सामने चर्चा करनी चाहिए. उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने कहा, “राहुल गांधी के बारे में कुछ विचार हो सकते हैं. लेकिन राय तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अमित शाह के बारे में भी हैं. भाजपा की आधी सफलता तो राहुल गांधी की छवि बिगाड़ कर ही है. यह आज भी जारी है.”
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पार्टी ने कहा, “लेकिन मौजूदा संकट में गांधी के रुख के लिए उनकी सराहना की जानी चाहिए. उन्होंने आदर्श आचार संहिता सामने रखी है कि किसी विपक्षी पार्टी को संकट के वक्त कैसे बर्ताव करना चाहिए.” शिवसेना ने कहा, “गांधी ने पहले ही कोरोना वायरस के खतरे को भांप लिया और सरकार को जरूरी कदम उठाने के लिए लगातार आगाह करते रहे. जब हर कोई कांग्रेस नीत मध्य प्रदेश सरकार को गिराने में व्यस्त था तब गांधी सरकार को कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए जगा रहे थे.”
संपादकीय में कहा गया कि गांधी ने बार-बार सरकार से कोरोना वायरस (Corona Virus) के मरीजों के इलाज में जरूरी चिकित्सीय उपकरण के निर्यात को रोकने की अपील की थी. पार्टी ने कहा, “बृहस्पतिवार को एक बार फिर गांधी ने कहा कि यह लड़ने का समय नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके मोदी के साथ मतभेद हो सकते हैं लेकिन यह इसका समय नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के खिलाफ जंग में एकजुट होने की जरूरत है और अगर हम झगड़ा करेंगे, हम इसमें सफल नहीं हो पाएंगे.”
शिवसेना ने कहा कि गांधी के विचार सरकार और विपक्षी पार्टियों के लिए “चिंतन शिविर” की तरह हैं और यह देश को फायदा पहुंचाएगा. संपादकीय में कहा गया, ‘‘गांधी के विचार सुनने के बाद हमें लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी को कोरोना वायरस संकट पर कम से कम एक बार सीधी वार्ता करनी चाहिए.”
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