देश की खबरें | पंजाब एसवाईएल नहर मुद्दा : पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया

चंडीगढ़, नौ अक्टूबर सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर मुद्दे पर चंडीगढ़ में पंजाब राजभवन की ओर मार्च कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने सोमवार को पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया।

कांग्रेस की पंजाब इकाई ने कहा कि वह राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से मिलना चाहती है और एसवाईएल मुद्दे पर उन्हें ज्ञापन देना चाहती है।

इस प्रदर्शन में कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा, विधायक राणा गुरजीत सिंह, पूर्व मंत्री साधु सिंह धर्मसोत, पंजाब विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राणा के पी सिंह और अन्य नेताओं सहित कई पार्टी नेता उपस्थित थे।

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को राज्यपाल के आवास की ओर बढ़ने से रोकने के लिए बैरिकेड्स लगा दिए थे। जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बैरिकेड्स को तोड़ते हुए आगे बढ़ने की कोशिश की, तो पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। बाद में पुलिस ने कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।

बाजवा ने यहां कांग्रेस मुख्यालय के बाहर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वे पंजाब से पानी की एक बूंद भी किसी अन्य राज्य में नहीं जाने देंगे और वे नहर भी नहीं बनने देंगे।

उन्होंने कहा कि पंजाब के पास किसी अन्य राज्य के साथ बांटने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है।

कांग्रेस नेताओं ने मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि पंजाब सरकार एसवाईएल के मुद्दे पर राज्य के हितों की रक्षा करने में विफल रही है।

मुख्यमंत्री ने सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के मुद्दे पर विपक्षी दलों द्वारा की जा रही आलोचना के बीच रविवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को राज्य से संबंधित मुद्दों पर एक नवंबर को खुली बहस की चुनौती दी।

भाजपा ने आम आदमी पार्टी (आप) नीत सरकार पर नदी जल पर राज्य के हितों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया था।

एसवाईएल नहर के मुद्दे पर चार अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद पंजाब के विपक्षी दलों ने राज्य में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

न्यायालय ने पिछले बुधवार को केंद्र से कहा कि वह पंजाब में जमीन के उस हिस्से का सर्वेक्षण करे, जो राज्य में सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के हिस्से के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था। साथ ही, वहां किस कदर निर्माण किया गया है, उसका भी आकलन करने को कहा था।

एसवाईएल नहर की परिकल्पना रावी और ब्यास नदियों से पानी के प्रभावी आवंटन के लिए की गई थी। इस परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर की परिकल्पना की गई थी, जिसमें से 122 किलोमीटर का हिस्सा पंजाब में और शेष 92 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा में बनाया जाना था।

हरियाणा ने अपने क्षेत्र में परियोजना पूरी कर ली है, लेकिन पंजाब, जिसने 1982 में निर्माण कार्य शुरू किया था, ने बाद में इसे रोक दिया। एसवाईएल पिछले कई वर्षों से पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद का विषय बना हुआ है।

पंजाब का कहना है कि रावी और ब्यास नदियों से बहने वाले पानी की मात्रा काफी कम हो गई है। इसलिए, यह पानी की मात्रा के पुनर्मूल्यांकन की मांग कर रहा है।

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