देश की खबरें | पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश को ‘पराली सुरक्षा बल’ गठित करने का निर्देश

नयी दिल्ली, 10 मई वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर ‘पराली सुरक्षा बल’ गठित करने का निर्देश दिया है।

शुक्रवार को जारी आदेश में सीएक्यूएम ने प्राधिकारियों से इन राज्यों के गांवों के सभी खेतों का मानचित्र बनाने को कहा, ताकि धान की पराली के प्रबंधन के लिए सबसे उपयुक्त उपायों का निर्धारण किया जा सके।

इन उपायों में फसल विविधीकरण, पराली का मूल स्थान पर प्रबंधन और इसका चारे के रूप में इस्तेमाल शामिल है।

सीएक्यूएम दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) और आसपास के इलाकों के लिए वायु प्रदूषण नियंत्रण रणनीति तैयार करता है।

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक हैं।

सीएक्यूएम ने तीनों राज्यों से जिला/ब्लॉक स्तर पर “समर्पित पराली सुरक्षा बल” गठित करने को कहा।

इस बल में पुलिस अधिकारी, कृषि अधिकारी और अन्य अधिकारी शामिल होंगे, जो धान की पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखेंगे और उन्हें रोकेंगे।

आयोग के मुताबिक, तीनों राज्यों से गश्त बढ़ाने को भी कहा गया है, खासकर देर शाम के समय में, जब किसान उपग्रह निगरानी से बचने का प्रयास कर सकते हैं।

सीएक्यूएम ने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी, कृषि अभिलेखों में उनके खिलाफ “लाल प्रविष्टियां” दर्ज की जाएंगी और उन पर पर्यावरणीय जुर्माना लगाया जाएगा।

उसने कहा कि प्रभावी निगरानी और मदद के लिए हर जिले में 50-50 किसानों के समूह को एक समर्पित नोडल अधिकारी उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

सीएक्यूएम के अनुसार, तीनों राज्यों को उपलब्ध फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों की व्यापक समीक्षा करने और पुरानी या खराब हो चुकी मशीनों को हटाने का भी निर्देश दिया गया है।

आयोग ने कहा कि मशीनों की कमी का नये सिरे से आकलन किया जाना चाहिए और खरीद की योजना अगस्त 2025 तक तैयार कर ली जानी चाहिए।

सीएक्यूएम के मुताबिक, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को किराये पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने वाले ‘कस्टम हायरिंग सेंटर’ के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों को किराया-मुक्त मशीनें उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

आयोग ने बताया कि प्राधिकारियों को धान की पराली के गट्ठरों के लिए पर्याप्त भंडारण सुविधाएं स्थापित करने के लिए भी कहा गया है, जिसमें भंडारण के लिए सरकारी या पंचायती भूमि की पहचान करना भी शामिल है।

उसने कहा कि सीएक्यूएम ने धान की पराली के लिए जिला स्तर पर आपूर्ति शृंखला बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है, ताकि उसका संग्रहण, भंडारण तथा जैव ऊर्जा उत्पादन एवं खाद बनाने जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके।

सीएक्यूएम ने कहा कि धान के अवशेषों की मात्रा और इस्तेमाल की वास्तविक समय में निगरानी करने के लिए एक मजबूत ऑनलाइन मंच भी स्थापित किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता और समन्वय बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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