Petrol and Diesel Price Today: पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा में किसानों का प्रदर्शन
Representational Image | (Photo Credits: PTI)

चंडीगढ़, 8 जुलाई : पंजाब और हरियाणा के किसानों ने पेट्रोल-डीज़ल और रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ दोनों राज्यों में अनेक जगहों पर बृहस्पतिवार को प्रदर्शन किए. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक प्रदर्शन का आह्वान किया था. एसकेएम केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चलाए जा रहे आंदोलन की अगुवाई कर रहा है. प्रदर्शनकारियों ने अपने ट्रैक्टर और अन्य वाहन सड़क के किनारे खड़े कर दिए और पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. उनमें से कुछ विरोध स्वरूप प्रदर्शन स्थलों पर एलपीजी के खाली सिलेंडर भी लेकर आए थे. आंदोलनकारी किसानों ने कुछ मिनटों के लिए अपनी गाड़ियों के हॉर्न बजाए और कहा कि यह सरकार को "नींद से जगाने" के लिए किया गया है.

किसानों ने जरूरी वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने में नाकाम रहने पर सरकार को आड़े हाथों लिया. अधिकारियों ने बताया कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए धरना स्थलों के पास भारी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था. प्रदर्शन पंजाब के मोहाली, अमृतसर, लुधियाना, मोगा और रूपनगर में तथा हरियाणा के सोनीपत, सिरसा और गोहाना में कई जगहों पर किए गए. लुधियाना में प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले किसान नेता हरमीत सिंह कादियान ने पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र की भाजपा नीत सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि हर दिन, पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ रही हैं जिसका समाज के हर वर्ग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. यह भी पढ़ें : गृहमंत्री अमित शाह को जानिए क्यों मिला सहकारिता मंत्रालय, देश में उतारेंगे गुजरात मॉडल

मोगा में एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि डीजल की बढ़ती कीमतों से किसानों की लागत बढ़ जाएगी. हरियाणा के सिरसा में, एक प्रदर्शनकारी किसान पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के विरोध में चार पहिया गाड़ी को खींचने के लिए ऊंट ले आया. आंदोलनकारी किसानों ने कहा कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा. हजारों किसान पिछले साल नवंबर के अंत से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की तीन सीमाओं--सिंघू, टीकरी और गाज़ीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. उनकी मांग है कि सरकार इन कानूनों को वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दे. वहीं सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों के हित में हैं. बहरहाल, सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है जो गतिरोध नहीं तोड़ पाई है.