नयी दिल्ली, 29 मार्च भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निजी इक्विटी कोषों को एक म्यूचुअल फंड कंपनी के प्रायोजन की अनुमति देने का बुधवार को फैसला करते हुए कहा कि ये कोष उद्योग को गति देने के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन एवं प्रतिभा ला सकते हैं।
सेबी का यह फैसला आईडीएफसी म्यूचुअल फंड का बंधन फाइनेंशियल होल्डिंग्स लिमिटेड, जीआईसी और निजी इक्विटी कोष क्रिसकैपिटल के एक गठजोड़ द्वारा किए गए अधिग्रहण की पृष्ठभूमि में आया है।
इसके साथ सेबी के निदेशक मंडल ने ‘स्व-प्रायोजित परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों’ (एएमसी) को म्यूचुअल फंड कारोबार जारी रखने की मंजूरी दे दी। हालांकि, एएमसी को यह छूट कुछ शर्तें पूरी करने पर ही मिलेगी।
इसके अलावा सेबी ने एएमसी के निदेशक मंडल द्वारा ‘यूनिट धारक संरक्षण समिति’ (यूएचपीसी) बनाने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दे दी। यह कदम यूनिट धारकों के हितों को संरक्षित करने के लिए उठाया गया है।
बाजार नियामक ने म्यूचुअल फंड के ट्रस्टी की भूमिका एवं जवाबदेही बढ़ाने के लिए एक मसौदे को भी मंजूरी दी है।
इसके अलावा वैकल्पिक निवेश कोष के तौर पर कॉरपोरेट ऋण बाजार विकास कोष के गठन का फैसला भी किया गया है। यह कोष बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति में कॉरपोरेट कर्ज प्रतिभूतियों की खरीद के लिए वित्त जुटा सकता है।
सेबी ने विदेशी बाजारों में निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड योजनाओं के शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) की जानकारी देने के लिए बुधवार को नई समयसीमा भी तय की। म्यूचुअल फंड (एमएफ) के लिए एक दी गई समयसीमा के भीतर सभी योजनाओं के एनएवी का खुलासा करना होता है।
लेकिन विदेशी बाजारों में निवेश करने वाली एमएफ कंपनियों को अलग-अलग समय क्षेत्र (टाइम जोन) में कारोबार करने से एनएवी की गणना में मुश्किल होती है। इसी समस्या को दूर करने के लिए नई समयसीमा तय की गई है।
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