राष्ट्रपति ने शिक्षा प्रणाली में कुछ बदलाव की जरूरत को रेखांकित किया, एआई को खतरा नहीं माना

नयी दिल्ली, 7 दिसंबर: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश के समावेशी विकास के लिए प्रबंधन संस्थानों में शिक्षा प्रणाली में कुछ बदलाव लाने की जरूरत है. राष्ट्रपति ने यहां ‘लक्ष्मीपत सिंघानिया-आईआईएम लखनऊ नेशनल लीडरशिप अवार्ड्स’ प्रदान किए. इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कृत्रिम मेधा (एआई) को प्रबंधन शिक्षा से जोड़ने की मांग की और कहा कि जो इसे जानता है और सही तरीके से इसका इस्तेमाल करता है, उसे अपनी नौकरी जाने का कोई डर नहीं होना चाहिए.

मुर्मू ने कहा, ‘‘हमें देश के समावेशी तथा अधिक प्रभावी विकास के लिए प्रबंधन संस्थानों में शिक्षा प्रणाली में कुछ बदलाव लाने की जरूरत है.’’

उन्होंने प्रबंधकों, शिक्षाविदों और संस्थान के प्रमुखों से भारतीय प्रबंधन अध्ययन को भारतीय कंपनियों, उपभोक्ताओं और समाज से जोड़ने का आग्रह किया. राष्ट्रपति ने कहा कि विदेशों के व्यवसायों के बारे में ‘केस स्टडी’ और लेखों के बजाय देश में मौजूद भारतीय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बारे में ‘केस स्टडी’ लिखी और पढ़ाई जानी चाहिए. उत्तराखंड में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग से 41 श्रमिकों को बचाए जाने का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि बचाव अभियान की न केवल सराहना की जा रही है बल्कि इस पर नेतृत्व अध्ययन कराने की भी बात हो रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘ यह बहुत अच्छा है और जीवंत विषय है खासतौर पर संकट के वक्त नेतृत्व तथा टीमवर्म के लिहाज से.’’ राष्ट्रपति ने एआई पर कहा कि प्रौद्योगिकी नवोन्मेष के कारण बहुत से लोगों में नौकरियां जाने को लेकर भय है. उन्होंने कहा, ‘‘ जो एआई के बारे में जानता है और उचित तरीके से उसका इस्तेमाल करता है उसे प्रौद्योगिकी नवोन्मेष के कारण नौकरी जाने का भय नहीं होना चाहिए.’’

उन्होंने एआई के सभी आयामों को प्रबंधन शिक्षा से जोड़ने का आह्वान किया. राष्ट्रपति ने कहा कि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की अंधी दौड़ ने मानवता को नुकसान पहुंचाया है.

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