चंडीगढ़, तीन दिसंबर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष पद और अन्य पदाधिकारियों के चुनाव की देखरेख के लिए अकाल तख्त द्वारा एक समिति गठित करने के निर्णय के बाद 104 वर्ष पुरानी पार्टी का पुनर्गठन तय प्रतीत होता है। इसके साथ ही अकाल तख्त ने कहा कि शिअद नेतृत्व ने अपनी पिछली गलतियों के कारण 'सिख पंथ' की अगुवाई करने का नैतिक अधिकार खो दिया है।
हाल के वर्षों में सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में पार्टी राजनीतिक रूप से कमजोर हो गयी। बादल को तीन महीने पहले अकाल तख्त ने 'तनखैया' (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया था।
सोमवार को सिख धर्मगुरुओं ने 2007 से 2017 के बीच पंजाब में शिअद और उसकी सरकार द्वारा की गई “गलतियों” को लेकर बादल और अन्य नेताओं के लिए ‘तनखा’ (धार्मिक दंड) जारी किया।
सजा सुनाए जाने से पहले बादल ने कई गलतियां स्वीकार कीं, जिनमें पंजाब में शिअद सरकार के कार्यकाल के दौरान डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को माफ करना भी शामिल है।
साल 2012 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत का श्रेय पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल को दिया गया था। हालांकि, 2017 के चुनावों में शिअद को 117 में से केवल 15 सीट मिलीं और 2022 के चुनावों में सिर्फ़ तीन सीट मिलीं। 2024 के लोकसभा चुनावों में शिअद को पंजाब की 13 संसदीय सीट में से सिर्फ़ एक सीट मिली।
इन चुनावी झटकों के कारण उनका नेतृत्व सवालों के घेरे में आ गया है। पार्टी को हाल ही में अपने इतिहास के सबसे बुरे विद्रोह का सामना करना पड़ा, जब अकाली दल के नेताओं के एक वर्ग ने आम चुनाव के नतीजों को लेकर बादल के खिलाफ विद्रोह कर दिया।
पांच 'सिंह साहिबान' (सिख धर्मगुरुओं) ने पार्टी के सदस्यता अभियान की देखरेख, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और छह महीने के भीतर अध्यक्ष एवं पदाधिकारियों के चुनाव कराने के लिए छह सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा की है।
समिति में शामिल पार्टी के बागी नेता गुरप्रताप सिंह वडाला ने मंगलवार को कहा कि अकाल तख्त के निर्देशों का पालन करते हुए सभी पार्टी नेताओं को अब अकाली दल के पुनरुद्धार की दिशा में सामूहिक रूप से काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ''सुखबीर बादल द्वारा अकाल तख्त के समक्ष अपनी गलतियों को स्वीकार करने के बाद, अब शिअद के पास 'संगत' (सिख समुदाय) के भीतर अपना विश्वास फिर से बनाने का मौका है।''
वडाला ने यह भी पुष्टि की कि 'शिअद सुधार लहर' अब भंग कर दी जाएगी।
अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह द्वारा घोषित छह सदस्यीय समिति में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी, पार्टी नेता इकबाल सिंह झुंदा, विद्रोही नेता गुरपरताप सिंह वडाला, विधायक मनप्रीत सिंह अयाली, संता सिंह और बीबी सतवंत कौर शामिल हैं जो अकाल तख्त का प्रतिनिधित्व करती हैं।
समिति की घोषणा करने से पहले ज्ञानी सिंह ने टिप्पणी की कि शिअद नेतृत्व ने अपनी पिछली गलतियों के कारण 'सिख पंथ' की अगुवाई करने का नैतिक अधिकार खो दिया है और उन्होंने शिअद की कार्यकारिणी को निर्देश दिया कि वे इस्तीफा देने वालों के त्यागपत्र स्वीकार कर लें।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)