प्रयागराज, 30 नवंबर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रयागराज के पुलिस आयुक्त तरुण गाबा और अन्य पुलिस अधिकारियों को 10 दिसंबर को अदालत के समक्ष पेश होकर यह बताने का निर्देश दिया है कि शिकायतकर्ता की शिकायत के बावजूद प्राथमिकी दर्ज करने में विलंब करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।
बलराम यादव नाम के व्यक्ति द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने यह आदेश पारित किया और सुनवाई की अगली तिथि 10 दिसंबर निर्धारित की।
याचिकाकर्ता ने थाना घूरपुर में शिकायत कर यह आरोप लगाया था कि एक विधायक के प्रतिनिधि अर्पित ने इस साल 25 सितंबर को उनके पिता पर हमला किया था जिसमें उनके पिता की मौत हो गई लेकिन राजनीतिक दबाव की वजह से प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।
इस अदालत के पूर्व के निर्देश के मुताबिक, पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त (यमुना नगर) और अन्य पुलिस अधिकारी 28 नवंबर को अदालत के समक्ष पेश हुए और एक हलफनामा दाखिल किया जिसमें उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता की शिकायत पर संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और प्राथमिकी दर्ज नहीं करने वाले पुलिस अधिकारी के आचरण के संबंध में प्रारंभिक जांच शुरू की गई है।
हालांकि, अदालत ने पाया कि इस हलफनामा में यह खुलासा नहीं किया गया है कि क्या संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई प्रस्तावित है या नहीं।
इस पर सरकार की ओर से पेश हुए अपर महाधिवक्ता ने विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिए जाने का अनुरोध किया।
राजेंद्र सिम्मी
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