नयी दिल्ली, 16 अगस्त पश्चिम बंगाल में 2021 में चुनाव बाद हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने के अनुरोध वाली याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र व पश्चिम बंगाल सरकार को जवाब दाखिल करने के लिये चार हफ्ते का वक्त दिया।
न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने पक्षकारों से लिखित में अपना जवाब देने को कहा, जिससे याचिकाकर्ता उसपर जवाब दे सकें।
शीर्ष अदालत उत्तर प्रदेश की रहने वाली वकील रंजना अग्निहोत्री और सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र सिंह द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में चुनाव बाद हुई हिंसा के कारण कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए केंद्र को पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने याचिकाकर्ता के मकसद पर सवाल उठाया और पूछा कि उत्तर प्रदेश का एक व्यक्ति इस मामले से कैसे जुड़ा है।
ग्रोवर ने बताया कि कलकत्ता उच्च न्यायालय राज्य के निवासियों द्वारा दायर ऐसी ही याचिकाओं पर पहले से विचार कर रहा है।
ग्रोवर ने कहा, “समान जनहित याचिकाओं में उच्च न्यायालय द्वारा सभी मुद्दों का ध्यान रखा गया है। मुझे याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र पर गंभीर आपत्ति है। बंगाल के लोगों ने इन मुद्दों को उठाया है और उच्च न्यायालय ने कुछ आदेश भी दिए हैं।”
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि याचिकाकर्ता की शिकायत के केवल कुछ हिस्से पर उच्च न्यायालय ने ध्यान दिया है।
शीर्ष अदालत ने उनसे अपनी सभी आपत्ति को एक हलफनामे में देने को कहा और कहा कि वह मामले पर सितंबर के अंतिम हफ्ते में सुनवाई करेगी।
याचिका में केंद्र को राज्य में सामान्य स्थिति बहाली और उसे आंतरिक अशांति से बचाने के वास्ते प्रशासनिक अधिकारियों की सहायता के लिये सशस्त्र / अर्धसैनिक बलों को तैनात करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
इसमें कहा गया है कि जनहित याचिका असाधारण परिस्थितियों में दायर की गई है, क्योंकि विधानसभा चुनावों के दौरान विपक्षी दल- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) - का समर्थन करने के कारण पश्चिम बंगाल के हजारों निवासियों को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कार्यकर्ताओं द्वारा आतंकित, दंडित और प्रताड़ित किया जा रहा है।
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