नयी दिल्ली, तीन मार्च पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट’ (सीएसई) ने बुधवार को कहा कि दिल्ली-एनसीआर में 2020-21 की सर्दियों के दौरान प्रदूषण का औसत स्तर पिछले साल से ज्यादा था लेकिन ‘स्मॉग’ की अवधि और तीव्रता कम थी।
सीएसई ने कहा कि ‘ग्रेडेड रिपॉन्स एक्शन प्लान’ (जीआरएपी) के क्रियान्वयन के लिए इस क्षेत्र में 15 अक्टूबर से एक फरवरी तक के कालखंड को आधिकारिक तौर पर सर्दी का मौसम माना जाता है।
विश्लेषण में कहा गया कि इस बार सर्दियों के मौसम में 23 दिन ऐसे थे जब शहर में पीएम 2.5 कणों की मात्रा ‘गंभीर’ का ‘खराब’ एक्यूआई श्रेणी में दर्ज की गई।
यह मात्रा, 2018-19 के दौरान 33 और 2019-20 के बीच 25 थी।
विश्लेषण में यह भी कहा गया कि दिल्ली के आसपास के चार शहरों में से गाजियाबाद सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा।
इसके साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में उत्तरी दिल्ली सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र दर्ज किया गया जहां स्थित जहांगीरपुरी की हवा में प्रदूषण सबसे ज्यादा था।
सीएसई में अनुसंधान और वकालत की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रायचौधुरी ने कहा, “सर्दियों के समय प्रदूषण के अध्ययन में विशेष रूप से दिलचस्पी होती है। इस साल महामारी के कारण असाधारण स्थिति थी और इस क्षेत्र में वातावरण की स्थितियों, शांत हवा और ठंड के मौसम के कारण सर्दियां बेहद कठिन होती हैं।”
उन्होंने कहा, “सर्दियों की हवा में स्थानीय प्रदूषण कारक तत्व फंस जाते हैं और इससे घातक स्मॉग जनित होता है। दिल्ली-एनसीआर के लोग इससे भली भांति परिचित हैं।”
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