नयी दिल्ली, 20 मार्च प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को अपने जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा के साथ कोविड-19 महामारी के बाद शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध दुनिया के लिए भारत-जापान रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने के लिए व्यापक चर्चा की।
जापान के प्रधानमंत्री विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और विभिन्न वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए जी-20 की भारत की अध्यक्षता और जी-7 की जापान की अध्यक्षता के बीच तालमेल बिठाने के लिए करीब 27 घंटे की यात्रा पर सोमवार सुबह करीब आठ बजे दिल्ली पहुंचे।
वार्ता से पहले अधिकारियों ने कहा कि द्विपक्षीय मोर्चे पर रक्षा और सुरक्षा, व्यापार और निवेश और उच्च प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने द्विपक्षीय प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता से पहले जापान के प्रधानमंत्री किशिदा का स्वागत किया। दोनों नेताओं के लिए हमारे द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा करने और कोविड-19 के बाद शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध दुनिया के लिए भारत-जापान साझेदारी को और विस्तारित करने का अवसर है।’’
किशिदा ने रविवार को कहा था कि उनकी यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच ‘‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’’ को और गहरा करना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘इस साल जापान जी-7 की अध्यक्षता कर रहा है जबकि भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। मैं इस सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ विचारों का आदान-प्रदान करना चाहता हूं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में जापान और भारत की क्या भूमिका निभानी चाहिए।’’
किशिदा ने कहा, ‘‘इसके साथ ही द्विपक्षीय जापान-भारत संबंधों के संबंध में, मैं भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को और गहरा करने की पुष्टि करना चाहता हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक नयी योजना पर भारत में एक संबोधन भी दूंगा। मैं इस ऐतिहासिक मोड़ पर खुले और मुक्त हिंद-प्रशांत की भूमिका के बारे में स्पष्ट रूप से अपनी सोच रखूंगा।’’
चीन की बढ़ती सैन्य मुखरता की पृष्ठभूमि में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती स्थिति पर भी मोदी और किशिदा के बीच व्यापक वार्ता में चर्चा होने की संभावना है।
पिछले साल मार्च में अपनी भारत यात्रा के दौरान किशिदा ने अगले पांच साल में भारत में पांच लाख करोड़ येन (3,20,000 करोड़ रुपये) के निवेश के लक्ष्य की घोषणा की थी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)