जरुरी जानकारी | बांस से बायो-गैस बनाने के  संयंत्र स्थापित करने की योजना: आईबीएफ

नयी दिल्ली, 26 नवंबर सरकार की योजना वर्ष 2023-24 तक 5,000 संपीड़ित बायो-गैस संयंत्र स्थापित करने की है जिसमें बांस और कृषि क्षेत्र के अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है।

विशेषज्ञों ने कहा कि इससे बांस के उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा।

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इंडिया बैंबू फोरम (आईबीएफ) के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि वह बांस मूल्य श्रृंखला के सभी अंशधारकों के साथ मिलकर काम करेंगे, जिसमें किसान, हार्वेस्टर और उद्यमी शामिल हैं, ताकि वे सरकार की योजना का लाभ उठा सकें।

बांस और किसी भी कृषि अपशिष्ट से बायोमास से संपीड़ित बायो-गैस (सीबीजी) उत्पन्न करने की प्रक्रिया दो-चरणों वाली प्रक्रिया है जिसमें अपशिष्ट पर एक विशेष जीवाणुयुक्त घोल डाला जाता है, और जिससे एक गैस उत्पन्न होती है, जिसे तब साफ कर संपीड़ित कर वाहन ईंधन के रूप में तैयार किया जाता है।

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तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि भारत में वर्ष 2023-24 तक जैव और फसल अपशिष्ट से गैस बनाने वाले 5,000 संयंत्रों की स्थापना पर दो लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा।

आईबीएफ के संस्थापक सदस्य पाशा पटेल ने कहा कि उनका फोरम, देश भर में बांस रोपने का अभियान शुरू करने और यह सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है कि कृषक समुदाय को इस बाजार में अपना उचित हिस्सा मिल सके।

आईबीएफ के संस्थापक सदस्य और निदेशक, कोंकण बांस और केन विकास केन्द्र (केओएनबीएसी) के निदेशक संजीव करपे ने कहा कि सरकार की योजना में बांस उद्योग को एक बहुत जरूरी प्रोत्साहन प्रदान करने की क्षमता है क्योंकि घोषणा आगे किसानों को बांस रोपने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘पांच हजार सीबीजी संयंत्रों की स्थापना का यह निर्णय 35 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में लगे बांस के लिए स्थायी बाजार तैयार कर सकता है। सीबीजी संयंत्रों में उत्पादित गैस का उपयोग वाहनों के लिए ईंधन के रूप में किया जा सकता है। जैव ईंधन के प्रयोग से कच्चे तेल पर आयात के खर्च में एक लाख करोड़ रुपये की कमी लायी जा सकती है।’’

प्रभु ने बांस आधारित उद्योग को उद्यमिता, अनुसंधान और उच्च गुणवत्ता के साथ बढ़ावा देने के उद्येश्य से अक्टूबर 2020 में यह मंच (फोरम) शुरू किया ।

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