नई दिल्ली, 2 जुलाई: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर सभी उप-पंजीयक कार्यालयों में दस्तावेजों के ई-पंजीकरण का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र और आप सरकार से जवाब मांगा. मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायाधीश प्रतीक जालान की पीठ ने वित्त मंत्रालय और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर एक वकील की याचिका पर उनसे जवाब मांगा.
अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 23 जुलाई की तारीख तय की है. याचिकाकर्ता वकील डी सी टुटेजा ने दलील दी कि महामारी के कारण दस्तावेजों के पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया रुक गई है और समझौतों के तहत विभिन्न कर्तव्यों का पूरा न करने या अपने प्रियजन को कोई अधिकार देने में सक्षम न हो पाने के कारण पक्षकारों के विभिन्न अधिकारों पर असर पड़ा है.
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याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील गौरव बहल ने अदालत को बताया कि दिल्ली में उप पंजीयक कार्यालयों को डिजीटल पोर्टलों से लैस करके पक्षकारों को शारीरिक रूप से उपस्थित होने को रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि इससे समय, पैसा, ऊर्जा बचेगी और साथ ही कोविड-19 को फैलने से रोका जा सकेगा. याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि इसमें उठाया मुद्दा नीतिगत फैसला है और इसलिए दूसरे पक्ष को भी सुनना पड़ेगा.
याचिका में कहा गया है, "यातायात चालान, अदालतों की सुनवाई और कई अन्य कार्यालय वर्चुअल तरीके से काम कर रहे हैं जिसमें एक-दूसरे से बिल्कुल भी नहीं या न्यूनतम संपर्क होता है और यह बहुत सफल साबित हुआ है तथा इसने दुनिया को दिखा दिया है कि तकनीक का क्या फायदा है."
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