नयी दिल्ली, 21 जुलाई भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह पूर्वी लद्दाख में सभी लंबित मुद्दों के हल पर जोर देते हुए चीन के साथ वार्ता कर रहा है, जिसमें सैनिकों को पीछे हटाना, तनाव घटाना और संबंधों में समग्र सुधार के लिए सीमावर्ती इलाकों में कुछ हद तक स्थिरता लाना शामिल है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए सीमा पर शांति एवं स्थिरता बहाल करने की ‘‘क्रमिक’’ प्रकिया पर ध्यान दे रहा है।
मीडिया ब्रीफिंग में सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने यह टिप्पणी की। दरअसल, उनसे दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार आने की प्रक्रिया के तथाकथित गति पकड़ने के चीन के दावे के बारे में पूछा गया था।
बागची ने कहा , ‘‘बेशक, हम यह कहना चाहते हैं कि यदि आप मुद्दों का हल कर सकते हैं, खासतौर पर सैनिकों को पीछे हटाने के मुद्दे का, तो यह पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव घटाने और शांति एवं स्थिरता बहाल करने में मदद करेगा। ’’
भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच दो वर्षों से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कई स्थानों पर गतिरोध बना हुआ है। दोनों पक्षों ने उच्च स्तरीय सैन्य वार्ताओं के परिणामस्वरूप क्षेत्र में कई इलाकों में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी की है।
इस बीच, रविवार को 16वें दौर की सैन्य वार्ता लंबित मुद्दों का हल करने में नाकाम रही।
विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी 28 और 29 जुलाई को उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शरीक होने वाले हैं। एससीओ बैठक से इतर दोनों मंत्रियों के एक बैठक होने की संभावना है।
बागची ने कहा कि भारत लंबित मुद्दों के हल के लिए और दोनों पक्षों के सैनिकों को पीछे हटाये जाने को सुनिश्चित करने, तनाव घटाने तथा सीमावर्ती इलाकों में कुछ हद तक शांति एवं स्थिरता कायम करने के लिए राजनयिक और सैन्य वार्ता के जरिये चीनी पक्ष के साथ वार्ता कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह समग्र संबंधों में सुधार लाने में मदद करेगा।’’
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