श्रीनगर, 16 नवंबर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की इस टिप्पणी के बाद शनिवार को जम्मू-कश्मीर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा कि कांग्रेस ने कभी अनुच्छेद 370 की बहाली के बारे में बात नहीं की।
मुफ्ती, बृहस्पतिवार को पुणे में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान अनुच्छेद 370 की बहाली के बारे में खरगे की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दे रही थीं।
मुफ्ती ने मध्य कश्मीर के बडगाम जिले के बीरवाह इलाके में संवाददाताओं से कहा, "इस सरकार को जनता ने भारी बहुमत से जिताया है। उन्होंने इसमें बहुत विश्वास जताया है। (अनुच्छेद) 370 जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक भावनात्मक मुद्दा है और लोगों की भावनाएं इससे जुड़ी हुई हैं।"
खरगे ने पुणे में संवाददाता सम्मेलन में कहा, "अमित शाह अपनी चुनावी रैलियों में कांग्रेस पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हैं। (लेकिन) वह (खुद) कह रहे हैं कि कांग्रेस (जम्मू-कश्मीर में) अनुच्छेद 370 वापस लाना चाहती है। मुझे बताएं, यह किसने और कब कहा?"
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "आप मुद्दा उठा रहे हैं। जब यह (अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का प्रस्ताव) संसद में पहले ही पारित हो चुका है, तो आप इस मुद्दे को फिर से क्यों उठा रहे हैं? इसका मतलब है कि आप इस मुद्दे को बांटने के लिए जीवित रखना चाहते हैं। अगर आप यह कहना चाहते हैं, तो कश्मीर जाकर कहें। कश्मीर में चुनाव खत्म हो चुके हैं।"
खरगे के इस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुफ्ती ने कहा, "नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस सरकार को स्पष्टीकरण देना चाहिए। पीडीपी ने भी कहा था कि (अनुच्छेद 370 को लेकर विधानसभा में पेश) प्रस्ताव स्पष्ट नहीं है और इसका उल्लेख अस्पष्ट रूप से किया गया। इस सरकार में 50 विधायक हैं, उन्हें अपना सिर ऊंचा रखते हुए यह बात कहनी चाहिए थी।"
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रस्ताव में 5 अगस्त, 2019 (अनुच्छेद 370 निरस्त होने की तारीख) को जो कुछ हुआ उसकी निंदा की जानी चाहिए थी।
उन्होंने कहा, "लेकिन, उन्होंने ऐसा नहीं किया। फिर उन्होंने (अनुच्छेद) 370 का इस तरह से उल्लेख किया कि इससे यह आभास हुआ कि वे शर्मिंदा हैं। यह पूरी तरह आत्मसमर्पण जैसा लग रहा था।”
महबूबा ने कहा, "इसके बाद कांग्रेस ने कहा कि प्रस्ताव राज्य के दर्जे के लिए है न कि अनुच्छेद 370 के लिए, जिससे लोगों के मन में कई सवाल और आशंकाएं पैदा हो गई हैं। इसलिए सरकार को स्पष्टीकरण देना चाहिए।"
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