नयी दिल्ली, 15 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने 45 वर्षीय उस व्यक्ति के परिवार को मुआवजे के रूप में 11 लाख रुपये से अधिक का भुगतान करने का आदेश दिया है, जिसकी जुलाई 2000 में डीडीए के अपार्टमेंट की दूसरी मंजिल पर स्थित बालकनी गिरने के कारण मृत्यु हो गई थी।
न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा ने कहा कि बालकनी गिरने का "प्रत्यक्ष कारण" दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की लापरवाही थी। उन्होंने यह भी कहा कि आवंटन के बाद भी बुनियादी ढांचे की दीर्घकालिकता सुनिश्चित करना प्राधिकरण का दायित्व है।
न्यायाधीश ने प्राधिकरण को मृतक की पत्नी और दो बच्चों को जनवरी 2001 में वर्तमान रिट याचिका दायर करने की तिथि से छह प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज के साथ 11.44 लाख रुपये की राशि का भुगतान करने को कहा।
परिवार झिलमिल कॉलोनी में निम्न और मध्यम आय वर्ग के लिए डीडीए द्वारा विकसित बहुमंजिला परियोजना में दूसरी मंजिल स्थित अपार्टमेंट में रह रहा था।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि संपत्ति का निर्माण घटिया गुणवत्ता का था, निर्माण के पांच से छह साल के भीतर ही इसका प्लास्टर उखड़ गया, जबकि इसे 40-50 साल तक बरकरार रहना चाहिए था।
अदालत ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि डीडीए की लापरवाही बालकनी के ढहने का स्पष्ट कारण थी... डीडीए का यह दायित्व था कि वह आवंटन के बाद भी बुनियादी ढांचे की दीर्घकालिकता सुनिश्चित करे।’’
तेरह नवंबर को पारित फैसले में कहा गया है कि डीडीए इन गड़बड़ियों को सीधे या अपनी एजेंसियों के माध्यम से ठीक करने के लिए जिम्मेदार था।
अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को कोई दोष नहीं दिया जा सकता, क्योंकि डीडीए ने ही संबंधित फ्लैट्स का निर्माण किया था।
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