नयी दिल्ली, 16 दिसंबर संसद की एक समिति ने पिछले चार साल में सितंबर, 2024 तक गोदाम निर्माण का लक्ष्य पूरा नहीं करने को लेकर सोमवार को सरकार की खिंचाई की और नोडल मंत्रालय से पूर्वोत्तर तथा पहाड़ी राज्यों में प्रगति में तेजी लाने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने को कहा।
संसद में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुदान मांगों पर छठी रिपोर्ट में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्थायी समिति ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में 50,100 टन क्षमता वाले गोदाम निर्माण के लक्ष्य के मुकाबले भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) 52.75 करोड़ रुपये खर्च कर केवल 1,760 टन भंडार की क्षमता हासिल कर सका।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024-25 के लिए 58,540 टन क्षमता का निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया था, ‘‘लेकिन 30 सितंबर तक उपलब्धि शून्य रही है।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्वयन के मद्देनजर एफसीआई सितंबर तक वित्त वर्ष 2021-22, वित्त वर्ष 2022-23, वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए गोदामों के निर्माण का भौतिक लक्ष्य हासिल नहीं कर सका।
समिति ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में गोदामों के निर्माण में प्रगति की कमी पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि राज्य सरकारों से भूमि अधिग्रहण में देरी और खराब मौसम जैसे कारण नए नहीं हैं, लेकिन इसके लिए बेहतर योजना बनाई जानी चाहिए थी।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘...योजना में पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों की इन वास्तविकताओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए था और तदनुसार योजनाओं की कार्यान्वयन रणनीति तैयार की जानी चाहिए थी।’’
रिपोर्ट कहती है कि समिति ने सरकार को इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल करने, कामकाज में तेजी लाने और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राज्य के अधिकारियों सहित एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने की सिफारिश की है।
साइलो के निर्माण पर, समिति ने देश भर में, विशेष रूप से गेहूं की खपत वाले राज्यों में, व्यवस्थित और सुव्यवस्थित तरीके से इनका समान वितरण सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया।
यह महत्वपूर्ण है कि साइलो का निर्माण एक निर्दिष्ट समय अवधि के भीतर पूरा हो। इसके अतिरिक्त, सरकार को इस प्रयास में निजी उद्यमों की भागीदारी को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने और साइलो संचालन की दक्षता में सुधार करने के लिए इस संबंध में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
देशभर में विभिन्न स्थानों पर 24.25 लाख टन क्षमता वाले साइलो का निर्माण कार्य चल रहा है, जिनमें से 17.75 लाख टन की क्षमता पूरी हो चुकी है और शेष 6.5 लाख टन विकास के विभिन्न चरणों में हैं।
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