नयी दिल्ली, 31 जुलाई मणिपुर मुद्दे पर संसद में सोमवार को भी गतिरोध कायम रहा तथा विपक्ष ने इस विषय पर प्रधानमंत्री के वक्तव्य की मांग को लेकर भारी हंगामा और नारेबाजी की जिसके कारण लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन और राज्यसभा चार बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।
लोकसभा में हंगामे के बीच ही चलचित्र (संशोधन) विधेयक, 2023 सहित तीन विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने मणिपुर मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा कराने का प्रयास किया। किंतु विपक्षी सदस्यों द्वारा पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान और फिर कार्यस्थगन के प्रावधान वाले नियम 267 के तहत चर्चा कराये जाने की मांग पर अड़े रहने के कारण यह शुरू नहीं हो सकी।
सभापति धनखड़ ने उच्च सदन में यह घोषणा की कि वह मौजूदा गतिरोध को दूर करने के लिए विभिन्न दलों के नेताओं के साथ दोपहर दो बजकर 45 मिनट पर बैठक करेंगे। किंतु यह बैठक संभवत: बेनतीजा रही क्योंकि अपराह्न साढ़े बजे सदन की कार्यवाही फिर शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों का हंगामा और नारेबाजी जारी रही।
लोकसभा में बैठक शुरू होने पर प्रश्नकाल शुरू कराया गया, उसी समय विपक्षी सदस्य मणिपुर मुद्दे पर जल्द चर्चा कराने और प्रधानमंत्री मोदी के जवाब की मांग करते हुए हंगामा करने लगे। हाथों में तख्तियां लिए हुए कई विपक्षी सांसद आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी करने लगे।
हंगामे के बीच ही शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे और कुछ अन्य सदस्यों के पूरक प्रश्नों के उत्तर भी दिए।
लोकसभध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से नारेबाजी बंद करने और सदन चलने देने की अपील की। हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने सदन की कार्यवाही 11 बजकर करीब 15 मिनट पर अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
दोपहर दो बजे बैठक फिर शुरू होने पर हंगामे एवं नारेबाजी के बीच सदन ने संक्षिप्त चर्चा के बाद ‘चलचित्र (संशोधन) विधेयक, 2023’ को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। राज्यसभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है।
इसके साथ ही निचले सदन ने ‘संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक, 2022’ और ‘संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2022’ को बिना चर्चा के ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा पूर्व में इन दोनों विधेयकों को पारित कर चुकी थी। किंतु सरकार द्वारा राज्यसभा में इन विधेयकों में कुछ संशोधन किए जाने के कारण इन्हें दोबारा मंजूरी के लिए लोकसभा लाया गया था।
सदन में विपक्षी सदस्यों के हंगामे और नारेबाजी के कारण पीठासीन सभापति किरीट सोमैया ने बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
उधर, सुबह 11 बजे राज्यसभा की कार्यवाही आरंभ होने पर सभापति धनखड़ ने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत 65 नोटिस मिले हैं। इसी बीच मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।
सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार जब मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए तैयार है तो ऐसे में विपक्षी सदस्य सदन का महत्वपूर्ण समय बर्बाद कर रहे हैं। उन्होंने विपक्ष पर चर्चा से ‘‘भागने’’ का आरोप लगाया।
सभापति ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को अपनी बात रखने का मौका देते हुए पूछा कि क्या वह आज दोपहर दो बजे मणिपुर मुद्दे पर चर्चा शुरू करने को तैयार हैं?
खरगे ने कहा, ‘‘हमने नियम 267 के तहत चर्चा के लिए नोटिस दिए हैं। हम इसी नियम के तहत चर्चा चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को सदन में आकर मणिपुर हिंसा पर बयान देना चाहिए।
इसी दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया जिसके चलते सभापति ने 11 बजकर 16 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
दोपहर 12 बजे उच्च सदन की बैठक पुन: शुरू होने पर सभापति ने प्रश्नकाल चलवाने का प्रयास किया। हंगामे के बीच कुछ सदस्यों ने पूरक प्रश्न पूछे जिनका संबंधित मंत्रियों ने उत्तर भी दिया। किंतु हंगामा जारी रहने के कारण सभापति ने 12 बजकर 18 मिनट पर बैठक अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
दोपहर दो बजे सदन की बैठक फिर शुरू होने पर सभापति धनखड़ ने कहा कि अब सूचीबद्ध कामकाज के तहत सदन में मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा करायी जानी है।
उन्होंने असम गण परिषद के वीरेंद्र प्रसाद वैश्य को अल्पकालिक चर्चा शुरू करने के लिए आमंत्रित किया। इसी बीच विपक्ष के सदस्य इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी के वक्तव्य की तथा सत्ता पक्ष के सदस्य मणिपुर मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा करने लगे।
सदन में व्यवस्था बनते न देख सभापति ने दो बजकर 11 मिनट पर बैठक की कार्यवाही दोपहर ढाई बजे तक स्थगित कर दी।
दोपहर ढाई बजे बैठक फिर शुरू होने पर सदन में वही नजारा देखने को मिला। विपक्ष के सदस्य प्रधानमंत्री से सदन में आने तथा मणिपुर के मुद्दे पर बयान देने की मांग करते हुए नारे लगा रहे थे।
सदन में हो रहे हंगामे और नारेबाजी को देखते हुए सभापति ने विभिन्न दलों के नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया ताकि मौजूदा गतिरोध समाप्त हो सके।
धनखड़ ने कहा, ‘‘मेरा कार्यालय कुछ दलों के नेताओं को अपराह्न दो बजकर 45 मिनट पर बैठक करने के लिए नोटिस भेजेगा ताकि (गतिरोध को दूर करने के लिए) कोई रास्ता निकाला जा सके।’’
इसी के साथ उन्होंने बैठक शुरू होने के महज एक मिनट के भीतर अपराह्न साढ़े तीन बजे तक कार्यवाही स्थगित कर दी।
बैठक चार बार स्थगित होने के बाद अपराह्न तीन बज कर 30 मिनट पर जब शुरू हुई तो सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सरकार मणिपुर में हिंसा के मुद्दे पर अभी चर्चा करने के लिए तैयार है। उन्होंने नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों से कहा कि वे अपने स्थानों पर लौट जाएं ताकि चर्चा शुरू की जा सके।
लेकिन विपक्षी सदस्य अपनी मांग को लेकर नारेबाजी करते रहे। तब सभापति ने कहा ‘‘हम देश के लिए अच्छा उदाहरण पेश नहीं कर रहे हैं। पूरा देश हमें देख रहा है। सरकार मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है।’’
सदन में हो रहे हंगामे पर नाखुशी जताते हुए सभापति ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि 20 जुलाई से अब तक सदन के समय का कोई उपयोग नहीं किया गया।
संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू हुआ है और मणिपुर में हिंसा के मुद्दे पर दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई है।
सभापति ने कहा ‘‘हम अपना मजाक खुद उड़ा रहे हैं, दुनिया को हम बहुत खतरनाक संकेत दे रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि राज्यसभा उच्च सदन है और उसे जनहित की अपेक्षाओं के अनुरूप आदर्श उदाहरण पेश करना चाहिए।’’
हंगामे के बीच ही संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि अगर मणिपुर से संबंधित मुद्दों पर विपक्ष सचमुच गंभीर है और इस पर राजनीति नहीं करना चाहिए तो उन्हें चर्चा शुरू करने देना चाहिए।
उन्होंने कहा ‘‘हम अभी चर्चा के लिए तैयार हैं। हमारे गृह मंत्री वहां गए थे, हमारे गृह राज्य मंत्री 23 दिन तक वहां (मणिपुर) में थे। उनके (कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के) कार्यकाल में ऐसा कभी नहीं हुआ।’’
सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत रहने और चर्चा करने की अपील की लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने अपराह्न तीन बज कर 33 मिनट पर बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
माधव वैभव ब्रजेन्द्र
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