पाकिस्तान की सेना के आर्थिक हित ‘धीरे-धीरे तख्तापलट’ का कारण हैं: पीपीपी प्रवक्ता

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के प्रवक्ता ने पाकिस्तान के भारत के साथ संबंधों का आधार बदलने की अपील करते हुए कहा है कि पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना अपने आर्थिक हितों की रक्षा करने की कोशिश कर रही है, जो एक संघीय एवं लोकतांत्रिक प्रणाली में शायद संभव नहीं है और यही देश में ‘‘धीरे-धीरे तख्तापलट’’ का कारण है।

पाकिस्तान का झंडा (Photo Credits: File Image)

 

वाशिंगटन, 14 अक्टूबर: पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के प्रवक्ता ने पाकिस्तान के भारत के साथ संबंधों का आधार बदलने की अपील करते हुए कहा है कि पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना अपने आर्थिक हितों की रक्षा करने की कोशिश कर रही है, जो एक संघीय एवं लोकतांत्रिक प्रणाली में शायद संभव नहीं है और यही देश में ‘‘धीरे-धीरे तख्तापलट’’ का कारण है. पीपीपी के प्रवक्ता एवं पूर्व सांसद फरहातुल्ला बाबर ने ‘साउथ एशियंस अगेन्स्ट टेरेरिज्म एंड फॉर ह्यूमन राइट्स’ (साथ) (South Asians against Terrorism and for Human Rights) (SAATH) के पांचवें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान की संसद सेना को जवाबदेह ठहराने में सक्षम नहीं है.

उन्होंने एक वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सम्मेलन में कहा, ’’पाकिस्तान के जनरल देश के संविधान को दिल से स्वीकार नहीं करते है. इसलिए उन्होंने राष्ट्र में ऐसी स्थिति पैदा की है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है और सेना को सभी संस्थाओं से ऊपर रखती है.’’बाबर ने भारत के साथ पाकिस्तान के संबंधों का आधार बदलने की अपील की.

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उन्होंने कहा, ‘‘यदि संघर्षों के बावजूद चीन और भारत के बीच व्यापार संबंध हो सकते हैं, तो पाकिस्तान ऐसा क्यों नही कर सकता?’’बाबर ने इशारा किया कि भारत के साथ अच्छे संबंधों से पाकिस्तान में लोकतांत्रिक नियम और आम नागरिकों की सर्वोच्चता स्थापित करने में मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में ‘‘धीरे-धीरे तख्तापलट’’ का कारण शक्तिशाली सेना है जो अपने आर्थिक हितों की रक्षा करने की कोशिश कर रही है और इन्हें एक संघीय एवं लोकतांत्रिक प्रणाली में बचाए नहीं जा सकते. उन्होंने कहा कि सेना के खिलाफ पश्तून इलाकों में शुरू हुए प्रदर्शन अब पंजाब में भी पहुंच गए हैं, जो पाक सेना का गढ़ है.

बाबर ने कहा कि पाकिस्तान की संसद सेना को जवाबदेह बनाने में सक्षम नहीं हैं और उसके पास सेना के खर्चों एवं अन्य मामलों की कोई जानकारी नहीं है.

एसएएटीएच (SAATH) लोकतंत्र समर्थक पाकिस्तानियों का एक समूह है जिसकी स्थापना अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी और अमेरिका स्थित स्तंभकार डॉ. मोहम्मद तकी ने की थी. पूर्व में एसएएटीएच के वार्षिक सम्मेलन लंदन और वाशिंगटन में हुए थे लेकिन इस बार सम्मेलन में प्रतिभागी डिजिटल तौर पर शामिल हुए.

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वजीरिस्तान से नेशनल असेम्बली के सदस्य मोहसिन दावर ने कहा कि सत्ता पक्ष तालिबान को सत्ता में वापस लाने की कोशिश कर रहा है और डूरंड रेखा के दोनों ओर पश्तूनों के बीच संबंध तोड़ने का प्रयास कर रहा है .

पूर्व सांसद बुशरा गौहर ने कहा कि युवा पाकिस्तानियों, वकीलों और महिलाओं ने पाकिस्तान में यथास्थिति को चुनौती देनी शुरू कर दी है और ‘‘दमनकारी’’ शासन हमेशा नहीं चलेगा.

सम्मेलन में अधिकतर वक्ताओं ने संविधान के तहत आम लोगों की सर्वोच्चता कायम करने के बजाए सेना के साथ समझौता करने के लिए पाकिस्तान के बड़े दलों की निंदा की.

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