
इस्लामाबाद, 18 फरवरी पाकिस्तान की संसद ने मंगलवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें भारत से कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की मांग दोहराई गई है। भारत सरकार पाकिस्तान की इस मांग को कई बार ठुकरा चुका है।
'रेडियो पाकिस्तान' की खबर के मुताबिक, कश्मीर मामलों के मंत्री अमीर मुकाम ने सदन में यह प्रस्ताव पेश किया, जिसमें कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए पाकिस्तान के "अटूट नैतिक, राजनीतिक और राजनयिक समर्थन" की पुष्टि की गई है।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी संसद में कश्मीरियों के समर्थन में इस तरह का प्रस्ताव पारित किया गया है। लेकिन, मंगलवार के प्रस्ताव का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है।
इसमें कहा गया है, “प्रस्ताव में बहादुर कश्मीरियों और उनके बलिदानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई है; मानवाधिकार की स्थिति में सुधार करने का आह्वान किया गया है; हिरासत में लिए गए कश्मीरी नेताओं को रिहा करने और सभी दमनकारी कानूनों को रद्द करने की मांग की गई है।”
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को भारत द्वारा पांच अगस्त 2019 को निरस्त किए जाने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांटे जाने के बाद पहले से ही तल्ख भारत-पाकिस्तान संबंधों में और गिरावट आ गई।
भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि जम्मू-कश्मीर देश का अभिन्न हिस्सा "था, है और हमेशा रहेगा।"
प्रस्ताव में कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन और पांच अगस्त 2019 की "अवैध" कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की गई है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप जम्मू-कश्मीर विवाद का समाधान "दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अहम है।"
मुकाम ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को जम्मू-कश्मीर से जुड़े विवाद को सुलझाने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान के लोग अपने कश्मीरी भाइयों और बहनों के साथ मजबूती से खड़े हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)