श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने
इस्लामाबाद, 15 सितंबर पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में देश के भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों में हाल में किये गये संशोधनों को रद्द कर दिया और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ समेत सार्वजनिक पदों पर रहे लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को बहाल कर दिया।
शरीफ कानूनों में इन संशोधनों के एक प्रमुख लाभार्थी थे।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले साल एक याचिका दायर कर पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ नीत तत्कालीन सरकार द्वारा जवाबदेही कानूनों में किए गए संशोधनों को चुनौती दी थी।
शहबाज शरीफ के बड़े भाई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (73) अपने चार साल के स्वनिर्वासन के समाप्त होने के बाद 21 अक्टूबर को लंदन से लौट सकते हैं।
पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन और न्यायमूर्ति सैयद मंसूर अली शाह की तीन सदस्यीय पीठ ने 2-1 के बहुमत से निर्णय सुनाया। न्यायमूर्ति शाह बहुमत के फैसले से असहमत थे।
न्यायालय ने शहबाज शरीफ सरकार द्वारा किये गये संशोधनों को रद्द करते हुए घोषणा की कि भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) के अधिकार क्षेत्र को 50 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों तक सीमित करने जैसे संशोधन संविधान के खिलाफ हैं।
उसने सार्वजनिक पद पर कार्यरत लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को बहाल कर दिया।
इस फैसले का पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्रियों नवाज शरीफ, शहबाज शरीफ, यूसुफ रजा गिलानी, रजा परवेज अशरफ तथा शाहिद खाकान अब्बासी समेत अनेक नेताओं पर प्रभाव पड़ सकता है।
गठबंधन सरकार ने 1999 के राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) अध्यादेश में राष्ट्रीय जवाबदेही (दूसरा संशोधन) अधिनियम 2022 के माध्यम से कई बदलाव किए थे, जिसे खान ने पिछले साल जून में चुनौती दी थी।
इनमें एनएबी अध्यक्ष और महाभियोजक का कार्यकाल घटाकर तीन साल करना, भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था के अधिकार क्षेत्र को 50 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों तक सीमित करना और सभी लंबित पूछताछ, जांच और सुनवाई को संबंधित अधिकारियों के पास स्थानांतरित करना शामिल था।
इस मामले में 53 से अधिक सुनवाई हुईं। न्यायालय ने पांच सितंबर को सुनवाई समाप्त की और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसे प्रधान न्यायाधीश बंदियाल की सेवानिवृत्ति से ठीक एक दिन पहले सुनाया गया।
प्रधान न्यायाधीश के रूप में फरवरी 2022 में पदभार संभालने वाले न्यायमूर्ति बंदियाल 16 सितंबर को सेवानिवृत्त होंगे।
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