नयी दिल्ली, पांच अगस्त पेगासस जासूसी विवाद तथा तीन कृषि कानूनों सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक बृहस्पतिवार को दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
बैठक शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की एक सदस्य के, एक दिन पहले के आचरण को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उसकी निंदा की। उपसभापति ने कहा कि अशोभनीय व्यवहार के कारण तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों को एक दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि जब सदन की बैठक दिन भर के लिए स्थगित हो गयी तो निलंबित सदस्यों में से एक ने सदन में प्रवेश करने की कोशिश की। इस क्रम में एक द्वार का शीशा टूट गया और एक महिला सुरक्षा अधिकारी को चोट भी आयी। उस अधिकारी ने इसकी शिकायत दर्ज करायी है और सभापति एम वेंकैया नायडू इस पर विचार कर रहे हैं।
हरिवंश ने कल बुधवार की घटना को अत्यंत अशोभनीय और दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए उसकी निंदा की। इस घटना को लेकर तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि जो आरोप लगाया गया है वह सही नहीं है क्योंकि उनकी पार्टी के सदस्यों को दिन भर के लिए सदन से निलंबित किया गया था और बैठक जब पूरे दिन के लिए स्थगित की गई तब सदस्य सदन में छूट गए अपने बैग को लेने के लिए अंदर आना चाह रही थीं। इसी प्रक्रिया में द्वार में लगा शीशा टूटा । उन्होंने कहा ‘‘जबरदस्ती अंदर आने की कोशिश करने का आरोप सही नहीं है। सदस्य अपना बैग लेने के लिए अंदर आना चाह रही थीं लेकिन दरवाजा बंद कर उन्हें रोकने का प्रयास किया गया। ’’
इसी दौरान तृणमूल कांग्रेस के सदस्य हंगामा करने लगे।
सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सदस्य को अंदर आने से रोकने के लिए दरवाजा बंद नहीं किया गया था बल्कि नियमित प्रक्रिया के तहत, सैनिटाइजेशन के लिए दरवाजा बंद किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि सदस्य को अंदर आने से रोकने के लिए दरवाजा बंद करने का आरोप सही नहीं है।’’
गोयल ने कहा कि नियमित कार्य में किसी को बाधा नहीं डालनी चाहिए और इस तरह के आचरण से कर्मचारियों को मनोबल नहीं तोड़ना चाहिए।
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कल की घटना नयी नहीं है। उन्होंने कहा ‘‘हम अपनी बात रखने के लिए जो कुछ भी करते हैं वह लोकतांत्रिक तरीके से करते हैं।’’
खड़गे की इस बात पर सत्तापक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताई। सदन में व्यवस्था बनते न देख हरिवंश ने 11 बज कर 15 मिनट पर बैठक को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।
उल्लेखनीय है कि नायडू ने सदन में तख्तियां प्रदर्शित करने पर कल आपत्ति जतायी थी और आसन की अवज्ञा कर हंगामा करने वाले सदस्यों को नियम 255 के तहत दिन भर के लिए निलंबित कर दिया था।
बाद में एक संसदीय बुलेटिन में बताया गया था कि जिन छह सदस्यों को पूरे दिन के लिए निलंबित किया गया है उनमें तृणमूल की डोला सेन, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांता छेत्री, अर्पिता घोष एवं मौसम नूर शामिल हैं।
उच्च सदन की बैठक 15 मिनट बाद पुन: शुरू हुई तो विपक्षी सदस्य एक बार फिर आसन के समक्ष आ कर हंगामा करने लगे। पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने सदस्यों से शांत रहने और कार्यवाही चलने देने की अपील की। लेकिन हंगामा थमते न देख उन्होंने बैठक को देापहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
दो बार के स्थगन के बाद बारह बजे बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा। उपसभापति हरिवंश ने हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया। इस दौरान मंत्रियों ने कुछ पूरक सवालों के जवाब भी दिए। हालांकि उनकी बात ठीक से सुनी नहीं जा सकी।
उपसभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने की अपील की लेकिन उनकी अपील का कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद सदन की कार्यवाही 12 बजकर करीब 20 मिनट पर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी।
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