नयी दिल्ली, 12 अगस्त कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने राज्यसभा में कुछ महिला सांसदों के साथ कथित धक्कामुक्की की घटना को बृहस्पतिवार को ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया और इस मुद्दे, पेगासस जासूसी मामला एवं केंद्रीय कृषि कानूनों के मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
राहुल गांधी ने यह आरोप भी लगाया कि राज्यसभा में सांसदों की पिटाई की गई और इस संसद सत्र में देश के 60 प्रतिशत लोगों की आवाज को दबाया गया, अपमानित किया गया तथा विपक्ष को जनता के मुद्दे उठाने का मौका नहीं दिया गया।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में बैठक करने के बाद विपक्षी नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक पैदल मार्च किया। इस दौरान कई नेताओं ने बैनर और तख्तियां ले रखी थीं। बैनर पर ‘हम किसान विरोधी काले कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हैं’ लिखा हुआ था। विपक्षी नेताओं ने ‘जासूसी बंद करो’, ‘काले कानून वापस लो’ और ‘लोकतंत्र की हत्या बंद करो’ के नारे भी लगाए।
इससे पहले, विपक्षी नेताओं की बैठक में खड़गे, राहुल गांधी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश एवं आनंद शर्मा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव, द्रमुक के टी आर बालू, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा और कई अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए।
विपक्षी दलों के मार्च के बाद राहुल गांधी और कई विपक्षी नेताओं से संवाददाताओं से बातचीत में सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘संसद सत्र पूरा हो चुका है। जहां तक देश के 60 फीसदी हिस्से की बात है तो उनके लिए कोई सत्र नहीं था क्योंकि इन 60 फीसदी लोगों की आवाज को दबाया गया, अपमानित किया गया और कल राज्यसभा में पीटा गया।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हमने पेगासस मामले पर चर्चा की मांग की, सरकार ने इनकार कर दिया। हमने किसानों, महंगाई का मुद्दा संसद के बाहर उठाया क्योंकि अंदर नहीं उठा नहीं सकते। आप लोगों (मीडिया) के सामने बात कर रहे हैं क्योंकि अंदर नहीं बोलने नहीं दिया जाता। यह हमारे देश में लोकतंत्र की हत्या से कुछ कम नहीं है।’’
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए दावा किया, ‘‘देश के प्रधानमंत्री इस देश को बेच रहे हैं। वह देश की आत्मा दो-तीन उद्योगपतियों को बेच रहे हैं।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यसभा के भीतर सांसदों को पीटा गया है।
बुधवार की घटना को लेकर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू के दुखी होने संबंधी सवाल पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘सभापति को सदन चलाना होता है, उन्होंने क्यों नहीं चलाया? विपक्ष को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया।’’
शिवसेना के संजय राउत ने कहा, ‘‘यह सत्र हुआ ही नहीं है। विपक्ष को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला। हमारी आवाज को लोगों तक पहुंचने नहीं दिया गया। यह संसद सत्र नहीं था। कल राज्यसभा में लोकतंत्र की हत्या की गई।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘बाहर से मार्शल से लाकर महिला सांसद और दूसरे सांसदों पर हमले की कोशिश की गई। ऐसा लगता है कि मार्शल लॉ लगा है। ऐसा लगा कि हम पाकिस्तान की सीमा पर खड़े हैं और हमें रोका जा रहा है।’’
राजद के मनोज झा ने कहा, ‘‘कल बीमा विधयेक संसद ने नहीं, मार्शल लॉ ने पारित किया है। इस अहंकार का प्रतिकार जनता करेगी।’’
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को आरोप लगाया कि सदन में विरोध प्रदर्शन के दौरान वहां मौजूद कुछ महिला सुरक्षाकर्मियों ने विपक्ष की महिला सदस्यों के साथ धक्कामुक्की की और उनका अपमान किया। हालांकि सरकार ने उनके आरोप को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह ‘सत्य से परे’ है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने भी संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उन्होंने अपने 55 साल की संसदीय राजनीति में ऐसे स्थिति नहीं देखी कि महिला सांसदों पर सदन के भीतर हमला किया गया हो।
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