नयी दिल्ली, नौ फरवरी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित विपक्षी दलों ने सरकार पर लोकतांत्रिक तौर-तरीकों को दरकिनार करने एवं गंगा जमुनी तहजीब का तानाबाना तोड़ने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कहा कि केंद्र को किसानों की मांग मानते हुए अन्नदाताओं से बातचीत करके विवादित कृषि कानूनों से जुड़े मामले का समाधान निकालना चाहिए।
वहीं, भाजपा ने कहा कि मोदी सरकार ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना से काम कर रही है जहां एक तरफ आत्मनिर्भर भारत अभियान के जरिये देश को मजबूत बनाने का काम हो रहा है, दूसरी तरफ विभिन्न कल्याण योजनाओं के जरिये नये भारत की नींव रखने का काम हो रहा है।
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जारी चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री परनीत कौर ने कहा, ‘‘ किसान अपनी जायज मांग को लेकर दिल्ली की सरहद पर बैठे हैं, यह सरकार तार, कीलें और सीमेंट की बाधाएं खड़ी करके उन्हें रोकने का प्रयास कर रही है । ’’
उन्होंने कहा कि इससे सरकार की किसान विरोधी सोच प्रदर्शित होती है ।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘ यह सरकार इतनी डरी क्यों है । यहां कोई जंग थोड़े ही लड़ी जा रही है । किसान अपनी रोजी-रोटी बचाने के लिये जायज मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं । ’’
कांग्रेस नेता ने कहा किसी भी सरकार का कर्तव्य होता है कि वह बच्चों, बुजुर्गो, महिलाओं आदि की सुरक्षा करे लेकिन क्या दिल्ली की सरहदों पर ऐसा हो रहा है ।
परनीत कौर ने कहा, ‘‘ हमारे संविधान की प्रस्तावना में लिखा है...‘हम भारत के लोग’ । लेकिन इस सर्दी में दिल्ली की सरहद पर बैठे किसान क्या भारत के लोग नहीं हैं ? ’’
उन्होंने कहा कि किसानों का यह आंदोलन केवल पंजाब तक ही नहीं बल्कि पूरे देश में फैल चुका है। ‘‘ऐसे में सरकार अहंकार छोड़े और इन तीन काले कानूनों को वापस ले’’।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘ यह सरकार लोकतंत्र के लिए असली खतरा है, अन्नदाता नहीं।’’
भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि असहमति संसदीय परंपरा का हिस्सा है लेकिन राष्ट्रपति के अभिभाषण के समय विपक्ष का उपस्थित ही नहीं रहना कहां की परंपरा है।
उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘आप चुनाव की राजनीति करते रहिए, हम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश के निर्माण में लगे रहेंगे।’’
भाजपा की ही सुनीता दुग्गल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में देश की बेटियां सुरक्षित महसूस कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि इस सरकार में हम आत्मनिर्भर भारत की तरफ बढ़ रहे हैं, इसलिए स्वदेश निर्मित कोविड टीका का इस्तेमाल कर रहे हैं और दूसरे देशों को भी निर्यात कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना से काम कर रही है और जहां एक तरफ आत्मनिर्भर भारत अभियान के जरिये देश को मजबूत बनाने का काम हो रहा है, दूसरी तरफ विभिन्न कल्याण योजनाओं के जरिये नये भारत की नींव रखने का काम हो रहा है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्रियों और पहले के दिग्गज नेताओं पर उंगली उठाना लोकतंत्र के लिए ठीक परंपरा नहीं है।
श्रीनगर से लोकसभा सदस्य ने सत्ता पक्ष से मुखातिब होते हुए कहा, ‘‘भगवान और अल्लाह एक हैं। अगर फर्क करेंगे तो देश को तोड़ देंगे। अगर आपने कोई गलती की तो हम आपको सही करेंगे और हम गलती करेंगे तो आप सही करेंगे। इसी तरह देश चलता है।’’
किसान आंदोलन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘किसानों की बात सुननी चाहिए...समाधान निकालना चाहिए।’’
अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का हवाला देते हुए सरकार से आग्रह किया कि वह राज्य को जोड़ने और वहां के लोगों को ‘दिल से लगाने’ का काम करे।
समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने कहा कि भारत की पहचान इसकी गंगा जमुनी तहजीब है और इसके तानेबाने को तोड़ने का प्रयाय ठीक नहीं है ।
उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों को उनके उत्पाद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है ।
यादव ने कहा कि सरकार ने तीन कृषि कानून बनाये लेकिन किसान उन कानूनों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। ऐसे में सरकार इन कानूनों को रद्द क्यों नहीं करती है।
सपा नेता ने भाजपा पर परोक्ष निशाना साधते हुए कहा कि अगर आंदोलन करने वालों को ‘आंदोलनजीवी’ कहा जा सकता है तब एक पार्टी के चंदा मांगने वाले लोगों को क्या ‘चंदाजीवी’ नहीं कहा जाए।
उन्होंने सवाल किया कि देश में मंडिया क्यों नहीं बन रही हैं।
जारी दीपक वैभव हक
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