गंगईकोंडा चोलपुरम, 27 जुलाई : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दुनिया को दिखाया कि अगर भारत की संप्रभुता पर हमला हुआ, तो वह किस तरह जवाब देगा और सीमा पार सैन्य कार्रवाई ने पूरे देश में एक नया आत्मविश्वास पैदा किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने यहां चोल सम्राट राजेंद्र चोल के सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने यह भी साबित कर दिया कि भारत को निशाना बनाने वाले दुश्मनों और आतंकवादियों के लिए कोई पनाहगाह नहीं है. यह कार्यक्रम महान चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती को रेखांकित करता है, जिसे ‘आदि तिरुवथिरई' (तमिल माह आदि में राजा का जन्म नक्षत्र तिरुवथिरई है) उत्सव के रूप में मनाया जाता है.
प्रधानमंत्री ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संबंध में कहा, ‘‘दुनिया ने देखा कि अगर कोई भारत की सुरक्षा और संप्रभुता पर हमला करता है, तो वह कैसे जवाब देता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने साबित कर दिया कि भारत के दुश्मनों के लिए, आतंकवादियों के लिए, कोई पनाहगाह नहीं है. जब मैं हेलीपैड से यहां आया, तो तीन चार किलोमीटर की दूरी अचानक एक रोड शो में बदल गई, और हर कोई ऑपरेशन सिंदूर की प्रशंसा कर रहा था.’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पूरे देश में एक नई जागृति, एक नया आत्मविश्वास पैदा किया है. दुनिया को भारत की ताकत का एहसास होना चाहिए.’’ मोदी ने कहा कि सम्राट राजराज चोल और उनके पुत्र राजेंद्र चोल-प्रथम के नाम भारत की पहचान और गौरव के पर्याय हैं . उन्होंने घोषणा की कि तमिलनाडु में उनकी भव्य प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी और ये प्रतिमाएं ‘‘हमारे ऐतिहासिक जागरण के आधुनिक स्तंभ’’ होंगी. यह भी पढ़ें : लोनावाला में महिला का अपहरण करके चलती कार में बलात्कार, सड़क पर फेंका, एक आरोपी हिरासत में
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र पर टिप्पणी करते हुए कई लोग ब्रिटेन के मैग्नाकार्टा का जिक्र करते हैं, जबकि चोल कालीन ‘कुडवोलाई प्रणाली’ उससे भी पुरानी है. उन्होंने कहा कि चोल काल में अपनाई गई यह प्रणाली 1,000 साल से भी ज्यादा पुरानी है. मैग्नाकार्टा एक ऐतिहासिक दस्तावेज है, जो 1215 में इंग्लैंड के राजा जॉन द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था. यह दस्तावेज राजा की शक्तियों पर अंकुश लगाने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए बनाया गया था.













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