नयी दिल्ली, दो नवंबर सरकार के प्याज के दाम को काबू में लाने के विभिन्न प्रयासों के बावजूद देश के कुछ भागों में इस सब्जी के दाम में तेजी बनी हुई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार बेंगलुरू में इसका खुदरा मूल्य सोमवार को 100 रुपये किलो पहुंच गया। यह स्थिति तब है जब कर्नाटक देश में प्याज का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है।
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निगरानी के लिए चुने गए कुल 114 शहरों से दो शहरों राजस्थान के उदयपुर और पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के रामपुरहाट में प्याज की कीमत सबसे कम 35 रुपये किलो है। सरकार इन 114 शहरों में दैनिक आधार पर कीमतों पर नजर रखती है।
अखिल भारतीय स्तर पर प्याज का औसत मूल्य सोमवार को 70 रुपये किलो पर बना रहा।
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जिन राज्यों में प्याज का उत्पादन अच्छा-खासा होता है, वहां भी इस सब्जी की कीमत ऊंची बनी हुई है। महाराष्ट्र देश में प्याज का शीर्ष उत्पादक राज्य है। लेकिन वहां इसकी खुदरा कीमत 77 रुपये किलो बनी हुई है।
सरकारी आंकड़े के अनुसार प्रमुख खपत वाला शहर दिल्ली में भी स्थिति वैसी ही बनी हुई है। राष्ट्रीय राजधानी में प्याज का खुदरा मूल्य 65 रुपये किलो, कोलकाता में 70 रुपये किलो और चेन्नई में 72 रुपये किलो रहा।
सरकारी आंकड़ों में जो खुदरा मूल्य होता है, वह आम तौर पर कारोबारी आंकड़े से 10 से 12 रुपये किलो कम होता है। इसका कारण सब्जी की गुणवत्ता और स्थान विशेष है।
प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और कर्नाटक में भारी बारिश के कारण इस साल खरीफ फसल को नुकसान हुआ। इसके कारण आपूर्ति प्रभावित हुई है जिससे पिछले कुछ सप्ताह से प्याज की कीमत ऊंची बनी हुई है।
सरकार ने प्याज के दाम को काबू में करने के लिये कदम उठाये हैं। इसमें निर्यात पर पाबंदी और व्यापारियों पर भंडार सीमा लगाया जाना शामिल हैं।
इसके अलवा सरकार बफर स्टॉक से प्याज निकालकर बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ा रही है। साथ ही निजी व्यापार के जरिये आयात को लेकर नियमों में ढील दी गयी है।
देश में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नारटक तीन प्रमुख प्याज उत्पादक राज्य हैं।
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