देश में बढ़ रहा कोरोना का कहर, एक महीने का राष्ट्रीय लॉकडाउन लगा तो इतने प्रतिशत घटेगी GDP

भारतीय अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार अभी काफी ‘धीमा’ है और ऐसे में यदि कोविड-19 संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक माह का लॉकडाउन लगाया जाता है, तो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दो प्रतिशत तक घट सकता है. अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी बोफा सिक्योरिटीज ने मंगलवार को यह बात कही.

एजेंसी न्यूज Bhasha|
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देश में बढ़ रहा कोरोना का कहर, एक महीने का राष्ट्रीय लॉकडाउन लगा तो इतने प्रतिशत घटेगी GDP

भारतीय अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार अभी काफी ‘धीमा’ है और ऐसे में यदि कोविड-19 संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक माह का लॉकडाउन लगाया जाता है, तो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दो प्रतिशत तक घट सकता है. अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी बोफा सिक्योरिटीज ने मंगलवार को यह बात कही.

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देश में बढ़ रहा कोरोना का कहर, एक महीने का राष्ट्रीय लॉकडाउन लगा तो इतने प्रतिशत घटेगी GDP
लॉकडाउन I प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

मुंबई, छह अप्रैल: भारतीय अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार अभी काफी ‘धीमा’ है और ऐसे में यदि कोविड-19 संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक माह का लॉकडाउन लगाया जाता है, तो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दो प्रतिशत तक घट सकता है. अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी बोफा सिक्योरिटीज ने मंगलवार को यह बात कही. बोफा सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने कहा कि संक्रमण के मामले छह गुना बढ़कर 1.03 लाख पर पहुंच गए हैं. राज्य सरकारों ने इसकी प्रतिक्रिया में अभी स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाया है.

बोफा सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन घोषित होता है, तो यह ‘आखिरी रास्ता’ होगा. इससे वृद्धि की प्रक्रिया पर गहरा असर पड़ सकता है. अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार अभी ‘हल्का’ है.

रिपोर्ट कहती है, ‘‘कोविड-19 के बढ़ते मामले अर्थव्यवस्था के सुस्त पुनरुद्धार को देखते हुए चिंता बढ़ाते हैं. हमारा अनुमान है कि यदि राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगाया जाता है, तो वार्षिक जीडीपी में एक से दो प्रतिशत की कमी आएगी. यह कहने की जरूरत नहीं कि इससे राजकोषीय जोखिम भी बढ़ेगा.

देश में बीते वित्त वर्ष में कोविड-19 संक्रमण की वजह से लॉकडाउन लगाया गया था. यह जीडीपी में सात प्रतिशत से अधिक की गिरावट की प्रमुख वजह है. विश्लेषकों का अनुमान है कि आधार प्रभाव की वजह से 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 10 प्रतिशत से अधिक रह सकती है.

ब्रोकरेज ने कहा कि संक्रमण के मामले अपने अधिकतम स्तर को पार कर गए हैं. साथ ही उसने चेताया कि मामलों में बढ़ोतरी की रफ्तार तेज हो रही है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में जून मध्य के 10,000 के स्तर से सितंबर मध्य तक 90,000 मामले पहुंचने में तीन महीने लगे थे. इस बार इसमें सिर्फ छह सप्ताह लगे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की जांच अभी पर्याप्त से काफी नीचे है. रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि संक्रमण में वृद्धि की वजह जांच का नहीं बढ़ना है.

बोफा सिक्योरिटीज ने हालांकि, कहा है राहत की बात है कि मृत्यु दर अभी काफी कम है. सोमवार को संक्रमण से 42 लोगों की मौत हुई. यह जब मामले 97,000 के उच्चस्तर पर थे, उसकी तुलना में 42 प्रतिशत कम है.

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

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देश में बढ़ रहा कोरोना का कहर, एक महीने का राष्ट्रीय लॉकडाउन लगा तो इतने प्रतिशत घटेगी GDP
लॉकडाउन I प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

मुंबई, छह अप्रैल: भारतीय अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार अभी काफी ‘धीमा’ है और ऐसे में यदि कोविड-19 संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक माह का लॉकडाउन लगाया जाता है, तो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दो प्रतिशत तक घट सकता है. अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी बोफा सिक्योरिटीज ने मंगलवार को यह बात कही. बोफा सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने कहा कि संक्रमण के मामले छह गुना बढ़कर 1.03 लाख पर पहुंच गए हैं. राज्य सरकारों ने इसकी प्रतिक्रिया में अभी स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाया है.

बोफा सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन घोषित होता है, तो यह ‘आखिरी रास्ता’ होगा. इससे वृद्धि की प्रक्रिया पर गहरा असर पड़ सकता है. अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार अभी ‘हल्का’ है.

रिपोर्ट कहती है, ‘‘कोविड-19 के बढ़ते मामले अर्थव्यवस्था के सुस्त पुनरुद्धार को देखते हुए चिंता बढ़ाते हैं. हमारा अनुमान है कि यदि राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगाया जाता है, तो वार्षिक जीडीपी में एक से दो प्रतिशत की कमी आएगी. यह कहने की जरूरत नहीं कि इससे राजकोषीय जोखिम भी बढ़ेगा.

देश में बीते वित्त वर्ष में कोविड-19 संक्रमण की वजह से लॉकडाउन लगाया गया था. यह जीडीपी में सात प्रतिशत से अधिक की गिरावट की प्रमुख वजह है. विश्लेषकों का अनुमान है कि आधार प्रभाव की वजह से 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 10 प्रतिशत से अधिक रह सकती है.

ब्रोकरेज ने कहा कि संक्रमण के मामले अपने अधिकतम स्तर को पार कर गए हैं. साथ ही उसने चेताया कि मामलों में बढ़ोतरी की रफ्तार तेज हो रही है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में जून मध्य के 10,000 के स्तर से सितंबर मध्य तक 90,000 मामले पहुंचने में तीन महीने लगे थे. इस बार इसमें सिर्फ छह सप्ताह लगे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की जांच अभी पर्याप्त से काफी नीचे है. रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि संक्रमण में वृद्धि की वजह जांच का नहीं बढ़ना है.

बोफा सिक्योरिटीज ने हालांकि, कहा है राहत की बात है कि मृत्यु दर अभी काफी कम है. सोमवार को संक्रमण से 42 लोगों की मौत हुई. यह जब मामले 97,000 के उच्चस्तर पर थे, उसकी तुलना में 42 प्रतिशत कम है.

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

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