देश की खबरें | भारतीय विमानों पर लिखे ‘वीटी’ कॉल साइन को बदलने की मांग पर अदालत ने कहा, पहले सरकार के पास जाएं

नयी दिल्ली, चार जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक याचिकाकर्ता को भारतीय विमानों पर लिखे ‘वीटी’ कॉल साइन को बदलने की मांग वाली अपनी याचिका पर केंद्र सरकार को एक प्रतिवेदन सौंपने की अनुमति दे दी।

‘कॉल साइन’ उन अंकों या अक्षरों का समूह होता है, जिसका इस्तेमाल हवाई यातायात संचार में किसी विमान की पहचान करने के लिए किया जाता है।

याचिकाकर्ता का तर्क है कि ‘वीटी’ कॉल साइन का अर्थ ‘विक्टोरियन टेरिटोरी’ और ‘वायसराय टेरिटोरी’ है, जो ब्रिटिश राज की विरासत को दर्शाता है।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि अदालतें कॉल साइन नहीं बदल सकती हैं और यह काम सरकार और सांसदों का है, जो कानून बनाते हैं।

पीठ ने कहा, “हम यह नहीं कर सकते। यह काम सरकार का है, हमारा नहीं। सांसद कानून बनाते हैं। हम कानून नहीं बनाते। आप पहले सरकार से संपर्क करें।”

याचिका के मुताबिक, एक कॉल साइन या पंजीकरण कोड किसी विमान की पहचान के लिए होता है और ‘वीटी’ वह राष्ट्रीयता कोड है, जिसे भारत में पंजीकृत हर विमान पर लिखना अनिवार्य है।

केंद्र सरकार की स्थायी वकील मोनिका अरोड़ा ने कहा कि याचिकाकर्ता सरकार और संबंधित मंत्रालय को अपना प्रतिवेदन दे सकता है।

कुछ तर्कों के बाद याचिकाकर्ता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि उन्हें सरकार को एक प्रतिवेदन सौंपने की अनुमति दी जाए।

अदालत ने उपाध्याय का आग्रह स्वीकार कर लिया। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई अनुमति के साथ जनहित याचिका का निपटारा किया जाता है और उसकी तरफ से दिए गए प्रतिवेदन पर उचित समय में निर्णय लिया जाना चाहिए।

याचिका में भारत की संप्रभुता के साथ-साथ कानून के शासन और संविधान के तहत गारंटीकृत स्वतंत्रता और गरिमा के अधिकार की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार को भारतीय विमानों पर लिखे ‘वीटी’ कॉल साइन को बदलने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

इसमें कहा गया था कि चीन, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों ने आजादी के तुरंत बाद अपने विमानों पर दर्ज कॉल साइन बदल दिए थे।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)