भोपाल, 4 दिसंबर : भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने मंगलवार को दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से इस एक की 40 वीं बरसी पर विरोध रैली निकाली और प्रभावितों के साथ हुए "अन्याय" को समाप्त करने की मांग की. अब बंद हो चुके यूनियन कार्बाइड कारखाने के संबंध में ‘‘कॉर्पोरेट अपराध’’ का पुतला लेकर प्रदर्शनकारियों ने पीड़ितों को न्याय और सम्मानजनक जीवन से वंचित करने में निरंतर संलिप्तता के लिए विभिन्न क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेताओं और राहत संगठनों की निंदा की. बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों ने तख्तियां लेकर ‘‘भोपाल का इंसाफ करो’’ का नारा लगाते हुए परित्यक्त फैक्ट्री स्थल की ओर मार्च किया.
वर्ष 1984 में दो और तीन दिसंबर की दरम्यानी रात यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक संयंत्र से अत्यधिक जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) लीक हुई, जिससे 5,479 लोगों की मौत हो गई और पांच लाख से अधिक लोग अपंग हो गए. भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने आरोप लगाया कि अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने भारत में यूनियन कार्बाइड और डॉव केमिकल को लगातार मुकदमे से बचाया है. उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि अमेरिका के भावी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका को फिर से महान बनाने के अपने प्रयास में भोपाल में अन्याय के लंबे इतिहास को समाप्त करें. हमें उम्मीद है कि ट्रंप यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन और डॉव केमिकल कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.’’ यह भी पढ़ें : Kenya Heavy Rain: केन्या के तटीय शहर में भारी बारिश का कहर, एक बच्चे समेत 5 की मौत
भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के बालकृष्ण नामदेव ने दावा किया कि सभी वैज्ञानिक अध्ययन पांच लाख बचे लोगों में बीमारियों और मौतों तथा उनके बच्चों पर पड़ रहे स्वास्थ्य प्रभावों की ओर इशारा कर रहे हैं. ‘भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन’ की प्रतिनिधि रचना ढींगरा ने दावा किया कि यूनियन कार्बाइड के स्वामित्व वाली कंपनी डॉव केमिकल का भारत में कारोबार मौजूदा केंद्र सरकार के कार्यकाल में 10 गुना से अधिक बढ़ गया है. उन्होंने यह भी दावा किया कि 10 वर्षों में भोपाल का भूजल शहर में तीन किलोमीटर तक चला गया है. ढींगरा ने आरोप लगाया कि डॉव केमिकल पिछले दो वर्षों से यूनियन कार्बाइड की संपत्तियां भारतीय सार्वजनिक उपक्रमों को बेच रहा है और दावा कर रहा है कि अमेरिकी निगम भारतीय अदालतों के प्रति जवाबदेह नहीं हैं.