भुवनेश्वर, दो दिसंबर ओडिशा विधानसभा में सोमवार को विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस सदस्यों ने राज्य में आलू की भारी कमी और खुदरा बाजार में इसकी बढ़ती कीमत पर चिंता व्यक्त की।
यह मुद्दा शून्यकाल के दौरान विपक्षी मुख्य सचेतक प्रमिला मलिक ने उठाया। उन्होंने राज्य में आलू की कमी और बढ़ती कीमतों के लिए राज्य सरकार को ‘जिम्मेदार’ ठहराया।
मलिक ने कहा, ‘‘सरकार मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने और लोगों को आलू जैसी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने में पूरी तरह विफल रही है।’’
पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल द्वारा आपूर्ति बंद किए जाने की स्थिति में आलू की कमी का हवाला देते हुए बीजद नेता ने कहा कि आलू 50 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम तक बेचे जा रहे हैं। हालांकि, खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण मंत्री ने दावा किया कि आलू की कीमत 30 से 35 रुपये पर बनी हुई है।
मलिक ने कहा, ‘‘मंत्री जी को इस कीमत पर आलू कहां से मिला? कृपया लोगों को पता बताएं।’’
मलिक ने कहा कि मंत्री के अनुसार उत्तर प्रदेश से 300 ट्रक आलू आयात किया जा रहा है, लेकिन वे अभी तक राज्य में नहीं पहुंचे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और बेईमान व्यापारियों द्वारा गरीब उपभोक्ताओं का शोषण किया जा रहा है।
कांग्रेस विधायक दल के नेता रामचंद्र कदम ने आलू को गरीबों का भोजन बताते हुए राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने में पूरी तरह से विफल रहने का आरोप लगाया।
कांग्रेस नेता ने कहा कि ओडिशा में भाजपा के सत्ता संभालने के बाद पिछले पांच महीनों के दौरान सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमत में वृद्धि हुई है।
कदम ने विधानसभा अध्यक्ष से यह निर्देश जारी करने का आग्रह किया कि दो दिनों के भीतर सरकार कीमत पर नियंत्रण कर लेने के संबंध में सदन को आश्वस्त करे।
बीजद के गणेश्वर बेहरा ने कहा कि मंत्री ने रविवार को कहा था कि उत्तर प्रदेश से 300 ट्रक आलू आयात किया जा रहा है। लेकिन सच तो यह है कि सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है और ये आलू व्यापारी ला रहे हैं।
बीजद सदस्य ध्रुब चरण साहू और गौतम बुद्ध दास ने भी आलू की कमी और कीमत में वृद्धि को लेकर राज्य सरकार पर कड़ा प्रहार किया।
दास ने पूछा, ‘‘मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मीडियाकर्मियों से कहा था कि उनकी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से बात हुई है। लेकिन, क्या हुआ? क्या लोगों को आलू मिला।’’
हालांकि, भाजपा के सदस्य सिद्धांत महापात्र ने वर्तमान आलू संकट के लिए पिछली बीजद सरकार को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा, ‘‘अगर पिछली बीजद सरकार ने आलू मिशन को ठीक से लागू किया होता तो राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती।’’
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