छत्रपति संभाजीनगर, 18 जून मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मंगलवार को दावा किया कि अपने आरक्षण की रक्षा के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कार्यकर्ताओं का आंदोलन ‘प्रतिशोधात्मक’ है और मराठे ओबीसी के तहत आरक्षण की मांग करेंगे।
जरांगे ने यहां संवाददाताओं से कहा कि ओबीसी आंदोलन से मराठा समुदाय के सदस्यों को अपने मतभेद भुलाने तथा आरक्षण की अपनी मांग के लिए एकजुट हो जाने में मदद मिलेगी।
जालना जिले के वाडिगोद्री गांव में ओबीसी आरक्षण कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके और नवनाथ वाघमारे 13 जून से भूख हड़ताल पर बैठे हैं और सरकार से यह आश्वासन मांग रहे हैं कि मराठा आरक्षण की मांग के आलोक में ओबीसी आरक्षण प्रभावित नहीं होगा।
इस साल फरवरी में महाराष्ट्र विधानमंडल ने सर्वसम्मति से इस आशय का एक विधेयक पारित किया था कि मराठों को एक अलग श्रेणी के तहत शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।
जरांगे उस मसौदा अधिसूचना को लागू करने की मांग कर रहे हैं कि जिसमें कुनबी को मराठा समुदाय के सदस्यों के ‘‘सेज सोयरे’’ (रक्त संबंधी) के रूप में मान्यता दी गयी है। वह मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता देने के लिए एक कानून की भी मांग कर रहे हैं।
कुनबी एक कृषि समुदाय है और ओबीसी श्रेणी में आता है। जरांगे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र जारी किया जाए ताकि वे आरक्षण लाभों के लिए पात्र हो जाएं।
जरांगे ने 13 जून को मराठा आरक्षण को लेकर अपना अनिश्चितकालीन उपवास स्थगित कर दिया था तथा महाराष्ट्र सरकार को मराठाओं की मांग मान लेने के लिए एक महीने की समय सीमा दी थी।
यहां एक निजी अस्पताल में उपचार करा रहे जरांगे ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा , ‘‘ (ओबीसी का) मौजूदा आंदोलन प्रतिशोधात्मक है। हम उनकी वजह से अपना आंदोलन तेज या बड़ा नहीं करेंगे लेकिन हम ओबीसी से आरक्षण लेकर रहेंगे और वह भी वर्तमान 50 प्रतिशत आरक्षण से।’’
उन्होंने कहा कि ओबीसी कार्यकर्ताओं के पास आरक्षण है, उसके बाद भी वे आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे में जब हमारे पास कोई आरक्षण नहीं है, तो हमें कितना संघर्ष करना चाहिए? (ओबीसी का) यह आंदोलन मराठों को मराठा समुदाय के लोगों को अपना मतभेद भुला देने तथा आरक्षण के लिए एकजुट हो जाने में मदद करेगा।’’
जरांगे ने कहा, ‘‘ हमने अपनी मांग को पूरा करने के लिए (सरकार को) एक महीने का समय दिया है तथा ओबीसी एवं मराठा समुदाय के बीच किसी अंतर की कोई गुजाइंश नहीं है।’’
हाके और वाघमारे ने कहा है कि वे मराठों को आरक्षण दिये जाने के विरूद्ध नहीं हैं बल्कि यह ओबीसी आरक्षण को बिना प्रभावित किये होना चाहिए।
ओबीसी कार्यकर्ता सरकार की उस मसौदा अधिसूचना को रद्द करने की मांग कर रहे हैं जिसमें कुनबी को मराठा समुदाय के सदस्यों के ‘सेज सोयरे’ (रक्त संबंधी) के रूप में मान्यता दी गयी है।
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