नयी दिल्ली, नौ अप्रैल भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के अंतर्गत आने वाले बैंक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को दिये गये कर्ज के मामले में भी तीन महीने की मोहलत देने पर विचार कर रहे हैं। इस पहल का मकसद उन्हें मौजूदा संकट से पार पाने में मदद करना है।
एनबीएफसी भी कर्ज लौटाने में मोहलत मांग रहे हैं। उनका कहना है कि आखिर वे भी कर्जदार हैं। एनबीएफसी मुख्य रूप से अपनी नकदी संबंधी जरूरतों के लिये बैंकों पर आश्रित हैं।
इसके अलावा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों ने बैंकों से अतिरिक्त वित्त पोषण की व्यवस्था की मांग की है ताकि वे कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न नकदी की तंगी से निपट सके।
एनबीएफसी मुख्य रूप से एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम), बुनियादी ढांचा और रीयल एस्टेट क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करते हैं जो ‘लॉकडाउन’ (बंद) से काफी प्रभावित हुए हैं।
सूत्रों ने कहा कि आईबीए एनबीएफसी क्षेत्र की मांग पर विचार कर रहा है। बैंकों तथा नियामक आरबीआई से इसका युक्तिसंगत हल निकालने को कहा गया है।
सूत्रों ने कहा कि अब तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं हुआ है लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए इस पर सभी पहलुओं से सकारात्मक रूप से विचार किया जा रहा है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चूंकि इस बारे में बैंक स्वयं से कोई निर्णय नहीं ले सकते, अत: इसे आरबीआई के नियामकीय दिशनिर्देश के तहत उद्योग स्तर पर किया जाना है।
एनबीएफसी सितंबर 2018 में आईएल एंड एफएस संकट के बाद से ही नकदी की समस्या से जूझ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने खुदरा कर्ज और फसल कर्ज समेत सभी तरह के कर्ज (न्यूनतम 12 महीने की अवधि वाला) और कार्यशील पूंजी भुगतान के लिये तीन महीने की मोहलत देने की अनुमति दी है।
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