उत्तर कोरिया ने करीब छह महीने बाद सितंबर में एक बार फिर मिसाइल परीक्षण शुरू किया था। वह दक्षिण कोरिया के साथ कुछ शर्तों पर बातचीत को तैयार है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है ताकि वह अमेरिका को आर्थिक प्रतिबंधो में ढील और अन्य रियायतें देने के लिए राजी कर पाए।
उत्तर कोरिया की आधिकारिक ‘कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी’ (केसीएनए) ने कहा कि विमान-रोधी मिसाइल परीक्षण ‘‘विमान-रोधी मिसाइल प्रणाली के विभिन्न अध्ययन एवं विकास की दिशा में बहुत व्यावहारिक महत्व रखता है।’’ केसीएनए ने कहा कि परीक्षण का लक्ष्य लॉन्चर, रेडार और युद्ध कमांड वाहन के संचालन की व्यवहारिकता के साथ-साथ मिसाइल की युद्धक क्षमता की पुष्टि करना था।
दक्षिण कोरिया, जापान और अमेरिका आम तौर पर उत्तर कोरियाई मिसाइल के परीक्षण के तुरंत बाद सार्वजनिक रूप से इसकी पुष्टि करते हैं, लेकिन बृहस्पतिवार के परीक्षण के संबंध में ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई। यह दर्शाता है कि यह कोई प्रमुख परीक्षण नहीं था।
सियोल में उत्तर कोरियाई अध्ययन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर किम दोंग यूब ने कहा कि बृहस्पतिवार को किया गया परीक्षण दुश्मन की मिसाइलों और विमानों को मार गिराने के लिए डिज़ाइन की गई मिसाइल विकसित करने के परीक्षण का प्रारंभिक चरण प्रतीत होता है।
उन्होंने कहा कि मिसाइल रूस निर्मित एस-400 वायु रक्षा प्रणाली से मिलती-जुलती है, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि इसकी अधिकतम सीमा 400 किलोमीटर (250 मील) है और यह कथित तौर पर रडार से बचने वाले ‘स्टील्थ जेट्स’ को रोकने की क्षमता रखती है।
सशस्त्र सेना दिवस समारोह के दौरान शुक्रवार को दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा कि वह अपने लोगों के जीवन को खतरे में डालने के किसी भी प्रयास को सख्ती से विफल करेंगे और स्थायी शांति प्राप्त करने का प्रयास करेंगे, लेकिन उन्होंने कोरियाई देशों के बीच बातचीत की लय को बनाए रखने के संभावित प्रयासों की राह में उत्तर कोरिया के हालिया परीक्षणों का उल्लेख नहीं किया।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने बृहस्पतिवार को पत्रकारों से कहा कि अमेरिका निश्चित तौर पर सैद्धांतिक रूप से अंतर-कोरियाई वार्ता का समर्थक है। साथ ही उन्होंने उत्तर कोरिया को उसके हालिया परीक्षणों को लेकर आगाह भी किया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का बार-बार उल्लंघन किया गया और ‘‘अस्थिरता एवं असुरक्षा के लिए अधिक आशंकाएं’’ उत्पन्न की गईं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के तहत बैलिस्टिक संबंधी परीक्षणों पर प्रतिबंध है।
गौरतलब है कि अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर 2019 की शुरुआत नहीं हुई है।
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