इंदौर(मध्य प्रदेश), 5 मई : लोकसभा चुनाव में इंदौर निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन वापस लेकर कांग्रेस को इस सीट पर चुनावी दौड़ से बाहर करने वाले कारोबारी अक्षय कांति बम ने रविवार को दावा किया कि प्रचार अभियान में पार्टी संगठन के असहयोग और अविश्वास के कारण उन्हें अपने कदम पीछे खींचने के लिए मजबूर होना पड़ा. बम ने इंदौर में कांग्रेस को तगड़ा झटका देते हुए नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 29 अप्रैल को अपना पर्चा वापस ले लिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए. इसके साथ ही, भाजपा का गढ़ माने जाने वाली इंदौर सीट पर कांग्रेस की चुनावी चुनौती समाप्त हो गई, जहां वह पिछले 35 साल से जीत की बाट जोह रही है.
बम ने भाजपा के स्थानीय कार्यालय में संवाददाताओं से कहा,‘‘कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मेरे नाम की घोषणा के बाद मैंने चुनाव प्रचार अभियान में अपने दम पर पूरी मेहनत की, लेकिन इतना बड़ा चुनाव पार्टी संगठन के सहयोग के बिना नहीं लड़ा जा सकता.’’ उन्होंने कांग्रेस संगठन में अनुशासन और समन्वय के अभाव का दावा करते हुए कहा कि पार्टी उम्मीदवार के तौर पर शहर में उनके जनसंपर्क के कई कार्यक्रम रद्द कर दिए गए और उनके द्वारा भेजी गई प्रचार सामग्री बूथ स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओं तक नहीं पहुंचाई गई. बम ने दावा किया कि नामांकन वापस लेने से पहले उनकी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी से तीन बार बात हुई, जिन्हें उन्होंने अपने साथ हो रहे कथित असहयोग की जानकारी दी थी. यह भी पढ़ें : Jharkhand News: रांची के BSNL कैंपस में लगी भीषण आग, करोड़ों रुपये की संपत्ति के नुकसान की आशंका (Watch Video)
उन्होंने कहा,‘‘मैंने प्रदेश और दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को पत्र लिखकर कहा था कि मैं इंदौर में पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं की जनसभा कराना चाहता हूं. इनमें से एक नेता 25 अप्रैल को इंदौर में थे. वह दो घंटे तक स्थानीय हवाई अड्डे पर बैठे रहे, लेकिन शहर में उनकी जनसभा नहीं कराई गई.’’ हालांकि, बम ने उस नेता का नाम बताने से इनकार कर दिया. कांग्रेस नेताओं द्वारा बम को "गद्दार" और "रणछोड़दास" बताए जाने पर उन्होंने कहा,‘‘गद्दार की परि क्या होती है? रणछोड़दास क्या होता है? कांग्रेस ने नामांकन के चुनावी दस्तावेजों में पार्टी के स्थानीय नेता मोती सिंह को वैकल्पिक उम्मीदवार क्यों बनाया. ऐसा करके मुझ पर अविश्वास जताया गया.’’