
नयी दिल्ली, 31 जुलाई धनशोधन मामले में ईडी द्वारा जारी समन को चुनौती देते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) में किसी आरोपी को समन भेजने के लिए कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं है।
बनर्जी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि किसी आरोपी को समन भेजने के लिए कानून द्वारा स्थापित एक प्रक्रिया होनी चाहिए।
सिब्बल ने न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ से कहा, ‘‘पीएमएलए में कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं है, इसलिए प्रक्रिया नहीं होना भी एक प्रक्रिया बन जाता है। पीएमएलए में गवाह या आरोपी को बुलाने की कोई प्रक्रिया नहीं है। सरकार को यह प्रदर्शित करना होगा कि हम जो प्रक्रिया अपना रहे हैं, वह कानून द्वारा स्थापित है और उचित है।’’
सिब्बल ने कहा कि इस न्यायालय के विचारार्थ यह प्रश्न उठता है कि क्या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पीएमएलए की धारा 50 की कथित आड़ में किसी भी व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी भी स्थान पर तलब कर सकता है, जो व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का घोर हनन है।
उन्होंने कहा कि ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर पांच न्यायाधीशों की वृहद पीठ द्वारा फैसला सुनाया जाना चाहिए।
इस मामले में सुनवाई बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगी।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा बनर्जी ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें पश्चिम बंगाल में कथित कोयला घोटाले से जुड़ी धनशोधन जांच के सिलसिले में ईडी द्वारा उनके खिलाफ जारी समन को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)