मुंबई, 18 नवंबर बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद पर रश्मि शुक्ला की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। याचिका में दावा किया गया है कि उनकी नियुक्ति मनमानी और अवैध है।
शहर के अधिवक्ता प्रतुल भदाले द्वारा दायर जनहित याचिका में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईपीएस) के अधिकारी संजय वर्मा की, राज्य विधानसभा चुनाव तक महाराष्ट्र के डीजीपी पद पर की गई ‘सशर्त’ नियुक्ति को भी चुनौती दी गई है। याचिका में दावा किया गया है कि इससे महत्वपूर्ण चुनाव अवधि के दौरान स्वतंत्र और प्रभावी ढंग से काम करने की उनकी क्षमता प्रभावित होगी।
वर्मा ने पांच नवंबर को महाराष्ट्र के डीजीपी का पद ग्रहण किया था। इससे एक दिन पहले निर्वाचन आयोग के निर्देश पर शुक्ला को डीजीपी पद से हटा दिया गया था। राज्य विधानसभा के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा।
राज्य सरकार के एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) या आदेश में कहा गया था कि वर्मा चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक शीर्ष पद पर बने रहेंगे, जबकि शुक्ला को उसी अवधि के लिए अनिवार्य अवकाश पर भेज दिया गया है।
याचिकाकर्ता भदाले के वकील विनीत नाइक ने मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष सोमवार को याचिका का उल्लेख किया और तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया।
पीठ ने इस दौरान सवाल किया कि इस मुद्दे पर याचिकाकर्ता का कानूनी अधिकार क्या है।
अदालत ने सवाल किया, ‘‘पीड़ित पक्ष कौन है? जिस व्यक्ति को अस्थायी तौर पर नियुक्त किया गया है, उसे आना चाहिए। वह नहीं आया है। इसमें सार्वजनिक हित क्या है? आप (याचिकाकर्ता) कैसे संबंधित हैं?’’
अदालत ने कहा कि जनहित याचिका उसे दाखिल करना चाहिए जो वंचित है। पीठ ने कहा, ‘‘कैडर से किसी को नियुक्त किया गया, आप (याचिकाकर्ता) कैसे प्रभावित हुए हैं? ’’
पीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता शुक्ला की नियुक्ति को चुनौती देना चाहता था तो उसे फरवरी में ही ऐसा करना चाहिए था।
अदालत ने कहा, ‘‘तत्काल सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है। इसलिए तय प्रक्रिया के तहत सुनवाई सूचीबद्ध होगी।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)