नयी दिल्ली, 17 फरवरी भारत निर्मित कोविड-19 रोधी दो टीके कोरोना वायरस के ब्रिटेन में मिले नए स्वरूप पर प्रभावी हैं, लेकिन इस बारे में कोई डेटा नहीं है कि ये कोरोना वायरस के दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में मिले नए स्वरूपों पर प्रभावी हैं या नहीं। एक प्रारंभिक अनुसंधान से यह बात पता चली है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि भारत में चार लोग ऐसे पाए गए हैं जो सार्स कोव-2 के दक्षिण अफ्रीका में मिले नए स्वरूप से संक्रमित हैं, जबकि एक व्यक्ति ऐसा मिला है जो वायरस के ब्राजील में मिले नए स्वरूप से संक्रमित है।
अधिकारियों ने कहा कि भारत में ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए स्वरूप से संक्रमित लोगों की कुल संख्या 187 हो गई है।
भारत में जिन कोविड रोधी टीकों के आपात इस्तेमाल की अनुमति मिली है, उनमें पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का ‘कोविशीलड’ तथा भारत बायोटेक, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद एवं राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित ‘कोवैक्सीन’ शामिल हैं।
अनुसंधानकर्ता दीपक सहगल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वैज्ञानिकों के उचित अध्ययन करने तक यह कहना मुश्किल है कि ये दोनों टीके खासकर दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में मिले वायरस के नए स्वरूपों पर कितने प्रभावी होंगे।
शिव नादर विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश के जीव विज्ञान विभाग के प्रमुख सहगल ने कहा, ‘‘भारत में मौजूद दो टीकों में से वायरस के नए स्वरूपों के खिलाफ ‘कोवैक्सीन’ बेहतर साबित हो सकता है क्योंकि यह समूचे विषाणु के खिलाफ प्रतिरक्षा उत्पन्न करता है, जबकि ‘कोविशील्ड’ टीका वायरस के केवल एक प्रोटीन पर केंद्रित होता है।’’
भारत निर्मित दोनों ही टीके ब्रिटेन में पाए गए कोरोना वायरस के नए स्वरूप के खिलाफ प्रभावी बताए गए हैं।
प्रतिरक्षा विज्ञान विशेषज्ञ विनीता बल ने उल्लेख किया कि ब्रिटेन में मिले नए स्वरूप में केवल एक उत्परिवर्तन हुआ है, इसलिए ये परिणाम आश्चर्यजनक नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि हालांकि, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में मिले वायरस के नए स्वरूपों में कई उत्परिवर्तन हैं जिससे प्रभाव में महत्वपूर्ण कमी देखी जा सकती है।
विनीता बल ने पीटीआई- से कहा, ‘‘नए स्वरूपों पर प्रभाव के बारे में हमारे पास अभी कोई जवाब नहीं है। मैं निश्चित तौर पर कह सकती हूं कि ऊतक प्रणाली में वायरस के नए स्वरूपों की वृद्धि को रोकने के लिए टीकाकरण करा चुके लोगों के रक्त की जांच के प्रयास जारी हैं।’’
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