पटना: बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर शनिवार को आरोप लगाया कि वह बाढ़ और कोविड-19 महामारी को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.
राजद के प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने आरोप लगाया, ''नीतीश का एक अजीबोग़रीब नुस्ख़ा है सभी समस्याओं को- भगवान भरोसे छोड़ दो, चाहे वह बाढ़ हो या कोविड-19 अब धीरे-धीरे अपने-आप खत्म हो जाएंगी.’’
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उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार बाढ़ से सबसे ज़्यादा प्रभावित होता है लेकिन यहाँ बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई का प्रति व्यक्ति खर्च 104.40 रूपये है जबकि राष्ट्रीय औसत 199.20 रूपये है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री को बाढ़ प्रभावित लोगों की कोई चिंता नहीं है, हालात यह है कि बार-बार मेरे कहने पर उन्होंने सिर्फ दो बार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया.
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि कोविड-19 महामारी को लेकर छह महीने में भी सरकार गंभीर नहीं हुई है. उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ़ अगस्त की बात करें तो 28 दिनों में 79,861 नए मामले आए हैं और 376 लोगों की मृत्यु हुई है. यह स्थिति तब है जब पूरा प्रदेश पिछले तीन महीने से लगातार लॉकडाउन में है.’’
तेजस्वी ने कहा कि महामारी की मार सबसे ज्यादा मजदूरों पर पड़ी है. उन्होंने कहा, ‘‘लगभग 40 लाख प्रवासी मज़दूर बाहर से आयें. अदालत ने इनके रोजगार की व्यवस्था करने का निर्देश भी दिया, लेकिन हुआ कुछ नहीं.’’
उन्होंने कहा कि सरकार मनरेगा के कार्य दिवस सृजन करने को अगर रोज़गार देना मानती है जिसमें सिर्फ़ निर्माण कार्य ही होते हैं तो फिर स्किल मैपिंग का क्या औचित्य रह गया? मनरेगा के अलावा क्या सरकार ने दूसरे क्षेत्रों में एक भी रोज़गार के अवसर सृजित किए?
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